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हवा में खुश्की बढ़ रही
पर ठण्ड आने में देर है
धूप के बिछौने पर बैठ कर
फुर्सत के दिन आने वाले है
छोटे छोटे दिन पंख लगा कर उड़ा करेंगे

नन्हे कदम रखता सूरज
कुछ देर से आया करेगा
और जल्दी जाया करेगा
जब राते लम्बी होंगी
तो
यादों के जंगल में अक्सर हम तुम मिलेंगे
लम्बी लम्बी बातें किया करेंगे
सुख दुःख भूलते
वो लम्हे जिया करेंगे
जिन्हें पोटली में बांध कर आले में रख दिया था
वो सरहाने रख कर सोया करेंगे

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 11, 2012 at 1:35pm

गर्मी में सर्दी का एहसास 

लगता सहित ऋतु आस पास 

बधाई. 

Comment by नादिर ख़ान on December 10, 2012 at 3:46pm

बदलते मौसम के साथ उमड़ता एहसास ...

बहुत ख़ूब राजलक्ष्मी जी ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 10, 2012 at 2:28pm

आदरणीया हेमंत ऋतु के पल-2 का आभास कराती सुन्दर रचना हार्दिक बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

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