For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा: चरण- स्पर्श

रमिता रंगनाथन, मिसेज़ शास्त्री की खातिर में यूँ जुटी थीं- मानों कोई भक्त, भगवान की सेवा में हो। क्यों न हो- एक तो बॉस की बीबी, दूसरे फॉरेन रिटर्न। अहोभाग्य- जो खुद उनसे मिलने, उनके घर तक आयीं! पहले वडा और कॉफ़ी का दौर चला फिर थोड़ी देर के बाद चाय पीना तय हुआ। इस बीच 'मैडम जी', सिंगापुर के स्तुतिगान में लगीं थीं- "यू नो- उधर क्या बिल्डिंग्स हैं! इत्ती बड़ी बड़ी...'एंड' तक देख लो तो सर घूम जाता है...और क्या ग्लैमर!! आई शुड से- 'इट्स ए हेवेन फॉर शॉपर्स'..." रमिता ने महाराजिन को, चाय रखकर जाने का इशारा किया. गायित्री शास्त्री ने चाय का प्याला उठाया भी, पर एक ही घूँट के बाद मुंह सिकोड़ लिया- "इट्स वैरी स्ट्रोंग! हम लोग तो फॉरेन- ट्रिप में बहुत लाईट 'टी' पीते थे...एंड फ्लेवर वाज़ सो सूदिंग!! " रमिता कुढ़ गयी. श्रीमती जी को 'शीशे में उतारना' इतना सहज न था. तभी उसे कुछ सूझा और तब जाकर- दिमाग की तनी हुई नसें, थोडी ढीली पड़ीं.
 "विनायक" उसने बेटे को आवाज़ दी," जरा देखो तो कौन आया है." विनायक का प्रवेश हुआ; उसने रट्टू तोते की भांति आंटी को 'गुड -मॉर्निंग' विश किया तो रमिता बोली, "ऐसे नहीं, आज 'विशु'( एक तमिल त्यौहार) है. आज के दिन बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं" विनायक ने झुककर गायित्री के चरण छुए तो उन्हें बेस्वाद चाय को भूलकर, 'गार्डेन गार्डेन' होना ही पडा. इम्पोर्टेड चौकलेट का डिब्बा बेटे को थमाते हुए, रमिता ने कहा, "ये स्वीट्स आंटी सिंगापुर से लायी हैं- इट्स लाइक ए विशु गिफ्ट फॉर यू " फिर गर्व से 'मैडम' को देखकर कहा, "अवर इंडियन कलचर यू नो!" न चाहते हुए भी 'श्रीमतीजी' चारों खाने चित्त हो गयीं थीं- अपनी पति की 'जूनियर' के आगे!
यह तो अच्छा ही हुआ कि विनायक का गिटार- टीचर थोडा लेट आया. नहीं तो वो भी यहीं सोफे में बैठ जाता और रंग में भंग पड जाता. विनायक को रमिता ने ताकीद भी कर रखी थी- "इस आदमी को लिविंग रूम में मत बैठाया करो...यह हमारी बराबरी का नहीं." पर बेटा प्रतिवाद करने की कोशिश करता, "अम्मा, मुकुन्दन मेरे गुरु हैं और मैं उनकी इज्ज़त करता हूँ" लेकिन माँ की जलती हुई आँखों के आगे, उस बेचारे की गुरु भक्ति धरी रह जाती.मुकुन्दन को आते देख रमिता, वर्तमान में लौट आई. परन्तु यह वो क्या देख रही थी!  विनायक ने लपककर, अपने उस 'तथाकथित' गुरु के पैर छू लिए!! माँ के आपत्ति से भरे हाव- भाव  भी, बेटे को विचलित न कर सके. मुस्कुराकर बोला, " इट्स विशु अम्मा" और मुकुन्दन को लेकर भीतर चला गया. रमिता चुपचाप, उन्हें जाते हुए देखती रही -बिलकुल असहाय सी!!!

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on October 31, 2012 at 8:55am

कोटिशः धन्यवाद भ्रमर जी, सराहना एवं उत्साहवर्धन के लिए.

Comment by Vinita Shukla on October 31, 2012 at 8:54am

हार्दिक धन्यवाद सीमा जी, रचना में निहित भाव को ग्रहण कर, सकारात्मक टिप्पणी देने हेतु.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on October 30, 2012 at 9:31pm
आदरणीया विनीता जी सटीक है ..न जाने लोग क्या सिद्ध करना चाहते हैं न होते हैं राम के न रहीम के ....तोड़ मरोड़ ..काश अपनी संस्कृति को समझ पाते 
सुन्दर लघु कथा सीख देती हुयी व्यंग्य वाण के साथ 
भ्रमर ५ 
Comment by seema agrawal on October 30, 2012 at 9:01pm

बहुत सटीक व्यंग विनीता जी इंसान का मान  उसके रुतबे से ऊंचा या नीचा समझने की प्रवृत्ति आज से नहीं बहुत पहले से है  | ये वर्गीकरण कभी रंग, कभी जाति,कभी आर्थिक स्थिति, तो कभी सामाजिक, किसी न किसी रूप में हमारे बीच बना ही रहता है 

Comment by Vinita Shukla on October 29, 2012 at 8:46am

बहुत बहुत धन्यवाद शालिनी जी.

Comment by shalini kaushik on October 28, 2012 at 11:43pm

ये ही है हमारी संस्कृति  जो बड़ों के माननीयों के पैर हमसे छूने  को प्रेरित करती है सार्थक भावपूर्ण प्रस्तुति बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
1 second ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
1 minute ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
2 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
5 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
5 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय इस मंच पर न कोई उस्ताद है न कोई शागिर्द। यहां सभी समवेत भाव से सीख रहे हैं। यहां गुरु चेला…"
12 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय मिथिलेश जी बधाई स्वीकारें"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इस ज़र्रा नवाज़ी का सहृदय शुक्रिया आदरणीय धामी सर"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service