For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता : हालत हो गयी है अपनी भूटान की तरह.

आमदनी घट रही है,होंठों से मुस्कान की तरह.
और खर्चे बढ़ रहे है, चौराहे पे दूकान की तरह.
भले ही रहते है यारों हम आलीशान की तरह.
पर हालत हो गयी है अपनी भूटान की तरह.

अरे किस से सुनाये दर्द,जब सबका यही हाल है.
ये बेबस जिंदगी उधार की,बस जी का जंजाल है.
बड़ी मुश्किल से लोग,हंसने का रस्म निभाते है.
वरना चुटकुले भी आँखों में आंसू भर के जाते है.
खुशिया लगती है सुनी,मातम के सामान की तरह.
और हालत हो गयी है अपनी, भूटान की तरह.

महंगाई के खौफ में,क्या खाक मजा है जीने में.
हसरतें बेजान होकर सड़ रही है सीने में.
आज एक लड़ाई खुद से ही लड़ रहा है आदमी.
थका-थका है फिर भी आगे बढ रहा है आदमी.
दिन-ब-दिन मिट रहा सुकून भी, ईमान की तरह.
और हालत हो गयी है अपनी, भूटान की तरह.

Views: 478

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Noorain Ansari on September 28, 2012 at 3:46pm

बहूत बहूत धन्यवाद लक्ष्मण जी..

Comment by Noorain Ansari on September 28, 2012 at 3:45pm

बहूत बहूत धन्यवाद केशरी जी..

Comment by वीनस केसरी on September 27, 2012 at 11:55pm

बहुत खूब
वर्त्तमान परिदृश्य को आपने बहुत सच्चे और सार्थक शब्दों से साकार किया है

दिन-ब-दिन मिट रहा सुकून भी, ईमान की तरह.

बहुत बहुत बहुत खूब

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 27, 2012 at 1:37pm

आज एक लड़ाई खुद से ही लड़ रहा है आदमी.
थका-थका है फिर भी आगे बढ रहा है आदमी.

बहुत गहरी सच्चाई, सुंदर पंक्तिया बधाई श्री नूरें अंसारी भाई 
Comment by Noorain Ansari on September 27, 2012 at 10:57am

सादर धन्यवाद राजेश जी.......हौसला अफजाई के लिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 27, 2012 at 10:36am

महंगाई के खौफ में,क्या खाक मजा है जीने में.
हसरतें बेजान होकर सड़ रही है सीने में.
आज एक लड़ाई खुद से ही लड़ रहा है आदमी.
थका-थका है फिर भी आगे बढ रहा है आदमी----वाह वाह बहुत बढ़िया सामयिक कविता जबरदस्त लिखा बहुत बधाई नूरेन अंसारी जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
33 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
34 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
37 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जू भाई, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश भाई, क्या ही खूब ग़ज़ल कही है. वाह. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. बाकी अभ्यास…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें. गुनीजनों की सलाह पर अवश्य…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. गुरप्रीत भाई. आपसे शिक़ायत यह है कि हमें आपकी ग़ज़लें पढ़ने को नहीं मिल रही…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service