For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिमालय की मौन आँखों में
शान्त माहौल के परिवेश में
कुछ प्रश्नों को देखा है मैंने ।

खड़ा तो है अडिग पर
उसके माथे की सलवटों पर
थकावट के अंशों को देखा है मैंने ।

प्रताड़ित होता है वो तो क्यों ?
नहीं समझते हो तुम
क्रोधित हो वो कैसे हिला दे
धरती को ये देखा है मैंने ।

जब बहती हुयी पवन कुछ
कहकर पैगाम सुनाती है तो
पैगाम -ए - दर्द को छलकते
धरती पर बहते देखा है मैंने ।

कभी ज्वाला सा जल जाता है
और कभी नदियाँ बन बह जाता है
उसे पिघलते रोते देखा है मैंने ।

भयानक क्रोध में तपते
बादल की तरह फटकर
तबाही फैलाते हुए देखा है मैंने ।

अभिमान करो ना प्रतिकार करो
दर्द से बिलखते पिघलते उस
अटूट ह्रदय को टूटते देखा है मैंने ।

- दीप्ति शर्मा

Views: 405

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by deepti sharma on September 2, 2012 at 12:04pm

आदरणीय राजेश कुमार झा  जी ... आदरणीय अविनाश  जी 

बहुत बहुत आभार ....यूँ ही मार्गदर्शन करते रहें शुक्रिया

Comment by AVINASH S BAGDE on August 21, 2012 at 11:19pm

अभिमान करो ना प्रतिकार करो 
दर्द से बिलखते पिघलते उस 
अटूट ह्रदय को टूटते देखा है मैंने । 

बहुत सुंदर..कविता पसंद आयी..वाह दीप्ति जी ,बधाई 

Comment by राजेश 'मृदु' on August 19, 2012 at 1:10am

बहुत सुंदर एवं शोभन रचना

Comment by deepti sharma on August 18, 2012 at 12:24am

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद  जी ,, आपको कविता पसंद आयी ,, शुक्रिया ,, आपके प्रोत्साहन के लिए बहुत आभारी हूँ ।

Comment by deepti sharma on August 18, 2012 at 12:23am

आदरणीया रेखा जोशी  जी ,, आपको कविता पसंद आयी ,, शुक्रिया ,, आपके प्रोत्साहन के लिए बहुत आभारी हूँ ।

Comment by deepti sharma on August 18, 2012 at 12:22am

आदरणीया राजेश कुमारी जी ,, आपको कविता पसंद आयी ,, शुक्रिया ,, आपके प्रोत्साहन के लिए बहुत आभारी हूँ ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 17, 2012 at 6:36pm
हार्दिक बधाई दीप्ति शर्मा जी आपकी नजरो ने हिमालय की मौन आँखों में वह भी शान्त माहौल के परिवेश में
इतना कुछ पढ़ लिया और काव्यमय सीख मिल गयी कि अभिमान करो ना प्रतिकार करो | बहुत खूब 
Comment by Rekha Joshi on August 17, 2012 at 5:07pm

अभिमान करो ना प्रतिकार करो 
दर्द से बिलखते पिघलते उस 
अटूट ह्रदय को टूटते देखा है मैंने । ,वाह दीप्ति जी बहुत बढ़िया भाव ,बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 17, 2012 at 4:30pm

जब दर्द हद से गुजर जाता है तो हिमालय भी सिहर जाता है ----बहुत सुन्दर भाव बहुत सुन्दर कविता लिखी है प्रिय दीप्ती जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छन्द पर उपस्तिथि और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ…"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय अखिलेश जी छन्द पर उपस्तिथि उत्साहर्धन और मार्गदर्शन के लिए आपका हार्दिक आभार। दीपोत्सव…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुति में जिन चिह्नों से युग्मकों को अलग किया गया है उन्हें हटा दिया…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service