For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे चाहिए ऐसी ही रौशनी

"मुझे चाहिए ऐसी ही रौशनी "

लिखता हूँ
जो मन करता है
दिमाग की नशें नहीं खींचता
जोर आजमाइश कर कुछ नहीं निकलता
सिवाए तेल के
अब कोल्हू का बैल तो हूँ नहीं
मोती तो गहराई में होते हैं
कुछ शब्द डूबे हैं
दिल की गहराई में
जैसे ही उसमे कोई
कौआ पत्थर फेकता है
ऑटोमेटिक बह निकलती है उससे
सरस शब्द सरिता
लफ्ज लफ्ज
छोटे छोटे जलप्रपात जैसे
उनका कल कल बन जाता है
कभी गीत कभी ग़ज़ल
मैं नहीं जानता हूँ
आलोचना का अंस मात्र
संकोच करता हूँ
समीक्षा से
बस लिखता हूँ
"सही"
सच कोशिश यही होती है
न जाने किसी को गलत भी लगता होगा
कुछ आलोचना समझ लेते होंगे
कुछ तारीफ़ भी समझते होंगे
पर सच्चाई का पता नहीं
जानबूझकर लोग
अँधेरे कमरों में सी ऍफ़ एल ऑन करते हैं
बिजली का बिल कम आएगा
रौशनी ज्यादा होगी
लट्टू फियुज़ हो जाते हैं
गारंटी भी नहीं होती
एक साल की गारंटी
दिन रात जलाओ
ये तेज़ रौशनी
सीमित है घर की चार दिवारी तक
या कहूँ केवल
खाना पूर्ती करती है
घर के कौने कौने जगमगाने में
एक किरण भी नहीं झांकती है इसकी
दिल में , झूठ है सब झूठ ही तो है
कौन कहता है ,
सच में उजाला होता है
मैंने देखें हैं दीपक जलाते लोग
सच्चे होते हैं
दियासलाई जलाते हैं
और दीपक का प्रकाश
असीमित फैलता है
घर घर
अमावश के चाँद की तरह
ये सच है
मैं सच के साथ हूँ
मुझे चाहिए ऐसी ही रौशनी
तो क्या ये आलोचना है
नहीं न
सब देख लेते हैं लोग
आने वाली खुशियाँ
आने वाले गम
सबके पास है दिव्यदृष्टि
हाँ हाँ दिव्यदृष्टि
मैंने यदि आशा लगाई
मुझे विस्वास है
एक आस्था है
तो मैं एक बेबकूफ हूँ
हूँ न ??
ये भी झूठ है
या एक दम सच
नीम करेला या विष
शिव का विष
नीला दिखता नहीं क्या ??
शब्द शब्द
और जिसने देख लिया
पहले ही
कल क्या होगा
और मना ली खुशियाँ
और किया मातम
किया शोक
किया क्षोभ
दुनिया देखने का
छीन लिया अधिकार
विज्ञान ने
पाप है वो पाप
तुम हो ही इस सदी का
अभिशाप
डाकिनी पिशाचिनी
नर्कगामिनी
साइंस की बेबकूफी
दिव्यदृष्टि ................................

संदीप पटेल "दीप "

Views: 350

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 1, 2012 at 3:37pm

आदरणीय सम्पादक महोदय जी मेरी ये प्रतिक्रिया मेरे हर उस दिल अजीज के लिए थी जिनके सहयोग से मेरे लेखन में दिन प्रतिदिन निखार आया है ||


वैसे उसके मायने ऐसे कतई नहीं थे, समझ में न आने का अर्थ उसके भावों से था और उसमे शायद उनकी नहीं मेरी गलती थी

की भाव होते हुए भी वो बिना भाव के प्रतीत हुई होगी , यदि मेरी इस प्रतिक्रिया से किसी को ठेस पहुंची हो तो कृपया मुझे अपना चंचल अनुज समझ के क्षमा करेंगे

आप सभी का सदैव आभारी

Comment by Admin on August 1, 2012 at 2:41pm

//मुझे क्षोभ है इस बात का के मेरे शब्द आपको समझ नहीं आये //

आदरणीय संदीप जी, आप यह टिप्पणी किसे संबोधित करते हुए लिखा है ?

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 1, 2012 at 11:18am

मुझे क्षोभ है इस बात का के मेरे शब्द आपको समझ नहीं आये
या आपकी नज़र ही नहीं पड़ी या लेखन में कहीं न कहीं तो कमी रही होगी
वैसे मैं अत्यंत दुखी भी नहीं हूँ क्यूंकि कभी कभी कुछ बातें कुछ समय बाद समझ आती हैं
ये रचना तथाकथित आंदोलनों पर लिखी है जिन्हें गर्भ में ही मार डालने का प्रयास होता है
पहले ही परिणाम निकल आते हैं और पहले ही उसे निष्फल कर दिया जाता है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service