For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मनुष्य जब भी कुछ बोलता है तो उस समय की परिस्थिति और वक्तव्य दोनों को साथ रख के विवेचना करनी चाहिए. असामान्य मनःस्थिति में दिए गए वक्तब्यों को अधिक महत्व नहीं दिया जाना चाहिए. अस्समान्य परिस्थिति और असामान्य मनःस्थिति में अंतर को भी ध्यान में रखना होगा. सीमा पर युद्ध के समय परिस्थिति असामान्य होती है पर मनःस्थिति एक दम सामान्य रखना होता है. असामान्य परिस्थितियों में यदि हम अपनी मनःस्थिति को सहज रख सकें तो सच में हम महान कहलाये जाने के हक़दार हैं.

पिछले कुछ दिनों में जो भी बोला या लिखा गया उसमे परिस्थिति का प्रभाव अधिक रहा. अति उत्साह में कुछ अधिक ही बोल और लिख दिया गया. धर्म मिटा दें, जाति मिटा दें और अंत में अपना नाम और खुद को. सब कुछ मिटा के अगर होश में आयेंगे तो आके भी क्या कर लेंगे.. व्यक्ति की पहचान सबसे महत्वपूर्ण होती है और वो भी व्यक्तिगत. हम हिन्दू, मुस्लिम, सिख या ईसाई हैं इससे हमारी भारतीयता पर प्रश्न चिन्ह कहाँ लग रहा है? इसी तरह हम ब्रह्मण, क्षत्रिय,वैश्य या अन्य उपजातियों के हैं तो इससे हमारे हिन्दू होने पर प्रश्न चिन्ह तो नहीं लग सकता. शिया हैं या सुन्नी, मुसलमान होने पर कोई संदेह कहाँ होता है.

हमारी अपनी सोच की संकीर्णता हमें बड़े बड़े और लोकलुभावन वक्तव्य देने को उकसाती है, अन्यथा क्या जरूरत है ये बताते रहने की कि हम एक हैं. देश में कही अशांति नहीं है फिर भी "शांति बनाये रखें" का जुमला जारी है. कब तक छुपायेंगे हम अपनी ही दाढ़ी का तिनका?

Views: 744

Reply to This

Replies to This Discussion

Sahi kaha hai aapne.
bahut badhia kha aapne ne
वन्दे मातरम बंधू,
आदरणीय शेष धर तिवारी जी, माफ़ी चाहता हूँ पर ये तो बताइए आपसे किसने कह दिया देश मैं कहीं अशांति नही है? बंधू ये उन लोगों के ही कारण आपको नजर आ रहा है जो देश मैं "शांति बनाये रखें" का जुमला ले कर चल रहे हैं ......... अन्यथा तो सैकड़ों दुश्मन शांति की कोशिशों को खत्म करने के लिए तैयार बैठे हैं.......
Aadarniy sheshdhar ji maafi chahta hu, Mujhe to samajh me nhi aaya ki aap kya kahna chahte hai. Aur ye pahchan wali bat kya jati ya dharm se hi aadmi ki pahchan hai. Ye tulsi wali baat samajh se pare hai. Shanti bnaye rakhne ka anurodh bhi to jayaj hai.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted blog posts
4 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service