For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किस ज़ुर्म की
 
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की सजा देते हो
आप तो मेरे अश्कों से भी मज़ा लेते हो
हम मुहब्बत के लिए जीते रहे और मर भी गए
आप मुझको नहीं खुद को भी दगा देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स----------
हम भी बच सकते थे आग दिल की कम हो जाती
आप बुझने ही कहाँ देते हवा देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स----------
दीपक 'कुल्लुवी' की हँसी पे न जाना तू ऐ-दोस्त  
हँसना चाहते हैं मगर तुम ही रुला देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स----------
 
दीपक 'कुल्लुवी'
१/७/१२.

Views: 380

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 18, 2012 at 5:11pm

dhanyabad sandeep ji for your valuable comments

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 11:18am

अच्छे भावों से सजी सुन्दर कुछ हास्य का पुट भी लिए हुए सुन्दर रचना के लिए बधाई दीपक जी

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 13, 2012 at 11:14am
शुक्रिया उमाशंकर जी 
 
आपकी दिली बधाई हमारा हौंसला और बढ़ाएगी और दर्द और कम करेगी.....
 
दीपक 'कुल्लुवी '
Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 10:27pm
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की सजा देते हो
आप तो मेरे अश्कों से भी मज़ा लेते हो ... वाह वाह .....क्या बात है क्या बात है मेरे आंसुओं से भी मजा लेते हो
हम मुहब्बत के लिए जीते रहे और मर भी गए
आप मुझको नहीं खुद को भी दगा देते हो........ तुम मुझे नहीं समझ सकी हम प्यार में जिए प्यार में मरे
हम भी बच सकते थे आग दिल की कम हो जाती
आप बुझने ही कहाँ देते हवा देते हो           बेहेतरिन हर शेर बेहेत्रिन आला दर्जे की उम्दा
दीपक शर्मा जी वाह वाह बहुत खूब कहा आपने दिल से बधाई
 
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 11, 2012 at 10:10am

आशीष  जी रेखा जी अलवेला जी हरीश जी आप सबका शुक्रिया और आप सबका  प्यार आशीर्वाद साथ रहा तो ................

न हँसेंगे खुशियों में
न रोएँगे हम ग़म में
हमने तो हर हाल में
जीने की कसम खा ली
'कुल्लुवी ' 
Comment by आशीष यादव on July 10, 2012 at 11:18pm

बहुत खूब सर।

Comment by Rekha Joshi on July 10, 2012 at 7:15pm

दीपक जी ,सादर 

हँसना चाहते हैं मगर तुम ही रुला देते हो
मुझको मेरे किस ज़ुर्म की स,अति सुंदर रचना ,बधाई 
Comment by Harish Bhatt on July 10, 2012 at 1:05pm

दीपक जी नमस्‍ते, बहुत सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Albela Khatri on July 10, 2012 at 12:40pm

वाह वाह दीपक कुल्लुवी जी....
बहुत बढ़िया रचना,,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service