For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सानिध्य में सुदूर

 

      सानिध्य में सुदूर हर बात से मजबूर 
      सजग चिंतित, विराग अनुराग !
      प्रतिकूल  मंचन, मुलाक़ात सज्जन 
      फिर वहीँ आचार विचार संचन !
      दिशाहीन नाव, अथाह सागर 
      मस्ती तूफ़ान ज्यों यादगार मगर !
      अद्वैत, असहाय , निरुपाय 
      कुमकुम  की कली तेज धुप अलसाय !
      मधुर मिलन फिर वही चिंतन 
      अनुराग अपार तेजधार बहाव !
      धूमिल क्षितिज , कलरव 
      अभिनव राग हज़ार बार !
      हरित निष्प्राण मंद वायु यार
      व्यक्त-अव्यक्त निशावार हार !
      उधेड़बुन मनलय कोपल किसलय
      द्वैत-अद्वैत तलाश अविनाश !
      मनरत, कर्मरत अवकाश निवास
      विहार-विचरण हार- बगार !
      फिर वही द्वंद्व नभ तारे धरा
      जल, थल, नभ हर जीव हरा !
      कहाँ शक्ति संचित ज्वाला
      अजन्मी, अव्यक्त विदेह बाला !! 

       

      

      

Views: 646

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Raj Tomar on June 29, 2012 at 6:04pm

आदरणीय योगराज सर, बहुत बहुत धन्यवाद आपका. :)


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 29, 2012 at 5:12pm

अति सुन्दर शब्द संयोजन, उत्तम अभिव्यक्ति. साधुवाद स्वीकार करें भाई राज तोमर जी.

Comment by Raj Tomar on June 23, 2012 at 11:05pm

श्रीमान सौरभ पाण्डेय जी , आभारी हूँ मैं आपकी शुभेच्छाओं और आशीर्वाद का. :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 23, 2012 at 11:00pm

रचनाधर्मिता को धारते शब्द दिशायुक्त हो समरस बनें.   सरस प्रयास है. 

शुभेच्छाएँ.

Comment by Raj Tomar on June 22, 2012 at 10:26pm

कुशवाहा साब एवं योगी जी, प्रसंशा करने के लिए आपका आभारी हूँ. :)

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 22, 2012 at 4:13pm

१२३

४५६

११ १२ १३

रहता रचना का इन्तजार

बधाई आपको है हजार  

Comment by Yogi Saraswat on June 22, 2012 at 4:07pm

फिर वही द्वंद्व नभ तारे धरा
      जल, थल, नभ हर जीव हरा !
      कहाँ शक्ति संचित ज्वाला
      अजन्मी, अव्यक्त विदेह बाला !!

बहुत खूब , राज तोमर जी ! सुन्दर अभिव्यक्ति

Comment by Raj Tomar on June 21, 2012 at 8:22pm

मैं आप का हृदय की गहराइयों से आभारी हूँ. रेखा जोशी जी ,अविनाश जी, राजेश कुमारी जी एवं अलबेला साब. ऐसे ही हौसला अफजाई करते रहिये . :)

Comment by Rekha Joshi on June 21, 2012 at 4:29pm

राज तोमर जी ,

फिर वही द्वंद्व नभ तारे धरा
      जल, थल, नभ हर जीव हरा !,अति सुंदर शब्दावली से सजी हुई रचना ,बधाई 
Comment by AVINASH S BAGDE on June 21, 2012 at 3:38pm

      अद्वैत, असहाय , निरुपाय 

      कुमकुम  की कली तेज धुप अलसाय !

 

 कहाँ शक्ति संचित ज्वाला 
      अजन्मी, अव्यक्त विदेह बाला !! 

bahut umda Raj bhai.द्वैत-अद्वैत तलाश अविनाश !
      मनरत, कर्मरत अवकाश निवास ...wah.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service