For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुरु व्रह्म्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा । गुरु साक्षात् परम व्र्हम्म तसमई श्री गुरवे नम:

गुरु  व्रह्म्मा गुरु विष्णु  गुरु देवो महेश्वरा ।

गुरु साक्षात् परम व्र्हम्म तसमई श्री गुरवे नम:


अर्थात गुरु को व्रह्मा कहा गया है की जिस प्रकार व्रह्मा सकल स्रष्टि  को जन्म देता है उसी प्रकार गुरु अपने शिष्य को ग्रहण करके उसमे संस्कारों का प्रत्यारोपण करके उसको नया जन्म देता है,उसे द्विज (द्वि मतलब दूसरा और ज मतलब जन्म ) बनाता है । इस लिए गुरु को व्रह्मा कहा गया है । और जिस प्रकार स्रष्टि  का पालन भगवान् विष्णु करते है ।उसी प्रकार गुरु अपने शिष्य का समस्त भार अपने ऊपर ले लेता है इस लिए गुरु को विष्णु कहा गया है ।  और भगवान् शंकर इस स्रष्टि का विनाश करते है और उन्ही की भाति गुरु अपने शिष्य में निहित समस्त विकारों का विनाश कर देता है एक प्रकार से वह अपने शिष्य के वर्तमान स्वरूप को समूल नष्ट करके उसका पुनः निर्माण कर देता है इस लिए गुरु को महेश या शिव कहा गया है ।और एक पूर्ण सतगुरु ही किसी प्राणी को अबगमन के चक्कर से मुक्त कर सकता है इसलिए गुरु को साक्षात् पार व्रह्म परमेश्वर कहा गया है ।

       इसको पड़ते ही मन में यह विचार आया  कि लिखने वाले ने यह क्या लिख दिया ।  क्या सचमुच गुरु ऐसा होता है कि उसकी तुलना साक्षात् पार व्रह्म परमेश्वर से कर दी जाये मन ने कहा कि नहीं ये सच नहीं हो सकता तो अपनी नज़र को इधर-उधर दौड़ाया तो पाया कि कबीर दास जी तो यहाँ तक लिख गए है कि :-

सात समुद्र कि मसि करूँ लेखन सब वनराय ।

सब धरती कागज़ करूँ गुरु गुण लिखा न जाये ।


लो  भाई यह तो हद हो गयी कि गुरु में वह गुण भरे हुए  है कि उन्हें लिखा ही नहीं जा सकता है । थोडा सा और गौर किया तो पाया कि नहीं कबीर दास जी तो गुरु को परमेश्वर से भी बड़ा वता रहें है ।


गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लागों पायें ।

वलिहारी गुरु आपनेगोविन्द दियो मिलाय ।


जब इस दोहे को ध्यान पूर्वक  पढ़ा तो समहज आया की गुरु को इतना महान क्यों कहा गया है ।  सचमुच यदि 

गुरु इश्वर से मिला सकता है तो वोह इश्वर से बड़ा ही हुआ । और फिर ध्यान आया की कहीं पर पढ़ा  है कि :-

अखंड मंडला कारम व्याप्तं एन चराचरम ।

तत्पदं दर्शितं येन तसमई श्री गुरवे नम:


अर्थात सर्व व्यापी इश्वर को तत्व रूप में अंतर्घट में ही प्रत्यक्ष रूप से दिखा देने वाला ही पूर्ण सतगुरु होता है और हमें इश्वर दर्शन के लिए उसी पूर्ण सतगुरु कि शरण में जाना चाहिए ।  इस विषय में वहुत सारे लोग कहते हैं कि हम तो नित्य मंदिर जाते हैं और कई लोग कहते हैं कि हम मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजा घर जाते हैं तो फिर हमे गुरु के पास जाने कि क्या जरूरत है तो इस विषय में हमारे ग्रुन्थ कहते है कि :-


राम कृष्ण से को बड़े तिंहू  ने गुरु कीन्ह । 

तीन लोक के नायका गुरु आगे आधीन ।


अर्थात जब इश्वर चाहें खुद ही क्यों न धरती पर आये तो वोह खुद  भी किसी पूर्ण गुरु के पास जाता है क्यों कि वह आपने आचरण के द्वारा मानव के लिए उद्धरण प्रस्तुत करता है कि आप इसी रास्ते पर चलो। किन्तु मानव राम -राम कृष्ण-कृष्ण तो करता है मगार जो राम या कृष्ण ने अपने जीवन में  किया वह नहीं करता है।अता : हमें आवश्यकता है ऐसे किसी पूर्ण सत गुरु कि जो हमारे प्रज्ञा चक्षु खोल दे । हमारे दिव्य   नेत्र खोल कर हमें हमारे अंतर्घट में ही परमात्मा का साक्षात्कार करा दे । 


बंधुओ इस व्याख्या को हम आगे भी पड़ेंगे आप अपनी टिप्पड़ी लिखे ताकि हमें इस लेख को आगे जारी रखने में मदद मिले 


                             धन्यबाद ,


                                                                                                        आपका 

                                                                                                         मुकेश 


 

Views: 8051

Replies to This Discussion

गुरवे नमः
बिन सद्गुरु आपनो नहीं कोई जो यह राह बतावे
कहत कबीरा सुनो भाई साधो सपने में प्रीतम आवे
जलन यह जिया की बुझावे
नईहरवा हमका न भावे

मुकेश जी आप आगे charcha जारी  rake

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service