For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कालबाह्य हो गयी अचानक सिर से वंचित चोटी है|
अब तो सारी ही रचनाएं कंप्यूटर पर होती है||
मृतिका पात्रों का सोंधापन,
स्नेहपूर्ण परसन,प्रक्षालन|
मधुमय मंगल गीतों के संग-
मिष्ट अन्न,दुर्लभ आस्वादन|
चन्दन वासित,कंचन काया सुबक,सुबक कर रोती है|
अब तो सारी ही रचनाएं कंप्यूटर पर होती है||
नहीं वृषभ जिनके कन्धों पर,
जुएं जुते रहते थे सुन्दर|
इन्ना,इन्ना,बर्रा,बर्रा,
ना बाबा,ना बाबा का स्वर|
प्राणाधिक प्रियतम यंत्रों ने,सारी धरती जोती है|
अब तो सारी ही रचनाएं कंप्यूटर पर होती है||
दूरभाष की नीरस बातें,
मिटीं दूरियां रिश्ते,नाते,
जिसको पढ़ प्रेमाश्रु छलकते,
रोमांचित हो वदन लजाते|
मसि कागद की परम्पराएँ,अपना गौरव खोती हैं|
अब तो सारी ही रचनाएं कंप्यूटर पर होती है||
वेग वही,संवेग वही,
आवेग वही,उद्वेग वही है|
केवल परिभाषाएं बदली हैं,
परिधि नहीं पर केन्द्र वही है|
इन आँखों में जल ही जल है,उन आँखों में मोती है|
अब तो सारी ही रचनाएं कंप्यूटर पर होती है||

Views: 475

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 9, 2012 at 11:26pm

मृतिका पात्रों का सोंधापन,
स्नेहपूर्ण परसन,प्रक्षालन|
मधुमय मंगल गीतों के संग-
मिष्ट अन्न,दुर्लभ आस्वादन|
चन्दन वासित,कंचन काया सुबक,सुबक कर रोती है|..

मयंक जी हमारे धरोहर-प्रथाओं परम्पराओं की एक झांकी ..उसे जीवंत करते हुए ...गाँव के दर्शन हुए ... ..जय श्री राधे 


भ्रमर ५ 


Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 4, 2012 at 11:45am

लाजवाब मनोज भाई| जिस कौशल के साथ आपने आधुनिक होते समाज की विद्रूपताओं को रेखांकित किया है वह निश्चय ही सराहनीय है| बहुत ही सुन्दर गीत| बधाई|

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 4, 2012 at 11:20am
bhai mayank ji, saadar! kitane anokhe, sahaj, sundar evam navin bimb pakade hain aapne, bahut sundar, vishesh:

दूरभाष की नीरस बातें,
मिटीं दूरियां रिश्ते,नाते,.... pahale to khat sambhal ke rachte the log saalon saal.

saadar badhaai.
Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 4, 2012 at 10:53am

आभार डॉसाहब, सादर वंदे

Comment by Dr Ajay Kumar Sharma on April 4, 2012 at 10:40am

सुंदर कविता .

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 4, 2012 at 8:52am

आदरणीय प्रदीप सर...उत्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रया के लिए आपका कोटिशः अभिवादन

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 3, 2012 at 11:35pm

snehi manoj ji. sadar 

इन आँखों में जल ही जल है,उन आँखों में मोती है|
अब तो सारी ही रचनाएं कंप्यूटर पर होती है||

bahut shandar shabd, bhav rachna aur prastutikaran. bahut khoob. badhai. 

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 3, 2012 at 10:52pm

इतनी जल्दी प्रकाशित भी हो गया...भाई वाह मजा आ गया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
58 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
23 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service