For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गोईठा-लकड़ी के चूल्हा में
भाप उठत ऊ भात बोलावे,
संक्रांति के दही-चुड़ा-तिलवा 
कऊड़ा में के आग बोलावे,
बहुत हो गईल शहर में रहल
आवअ लवट चलीं गाँव के ओर..
 
रेंहट के ऊ चूं-चूं-चूं-चूं पुकारे 
गौशाला के गाये-बैल रम्भाये,
पम्पिंग सेट के फट-फट-फट
रही-रही के आपन बैन सुनावे,
चांपाकल से निकलल पानी के
शुद्धता आ मिठास बोलावे,
बहुत पी लिहनी मिनरल वाटर
आवअ लवट चलीं गाँव के ओर...
 
ड्योढ़ी दलान आ दुआर पुकारे
गोबर से लिपल अंगना पुकारे,
खेत-खरिहान आ डीह बोलावे
बगईचा में के पपीहा बोलावे,
ठकुरबाड़ी के घरी-घंट पुकारे
किल्ली, कुण्डी, पीढ़ा पुकारे,
बहुत घूम लिहनी अब मॉल में
आवअ लवट चलीं गाँव के ओर...
 
इयार-दोस्त सब राह निहारे
कब अईबअ ? रह-रह उचारे,
संकरांत के दही-चुड़ा बोलावे 
होली के पुआ आ बाड़ा बोलावे,
फुलहा कटोरा में के दूध पुकारे
पिट्ठा-छांछी-ढक्नेसर भी पुकारे,
बहुत खा लिहनी अब चाईनीज
आवअ लवट चलीं गाँव के ओर...
 
ऊ मदमस्त पुरवईया बयार पुकारे
नदी में के ऊ झक-झक धार पुकारे,
सोन्ह-सोन्ह माटी के महक बोलावे
लहलह करत खेत आ डीह बोलावे,
सुना पड़ल ऊ देवताघर बाट निहारे 
गाँव में बीतल बचपन रह निहारे,
बहुत घूम लिहनी हम देश-दुनिया
आवअ लवट चलीं गाँव के ओर... .
 
  • आर के पाण्डेय 'राज' , पटना/लखनऊ
 

Views: 2125

Replies to This Discussion


आदरणीय श्री पाण्डेय जी आपकी इस रचना ने गाँव की सचमुच याद दिला दी |  भाव - भाषा और शिल्प सभी में नयापन है बहुत खूब सशक्त रचना !! हार्दिक बधाई !!

राज भाई, राउर इ रचना गाँव के दृश्य आँख के सामने ला दिहलस, माटी के कराही में जमावल लाल साढ़ी के दही इ शहर में कहाँ भेटाई ? कुछ त बात जरुर बा जे गाँव चूमक लेखा खिचे ला, बहुत ही बेजोड़ रचना, बधाई स्वीकार करी |

’माटी के कड़ाही में जमावल दही के लाल साढ़ी’ !! .. ई मात ह मात.. !!!

का इयाद परा दिहलऽ, ए गणेश भाई .. !!!! ..  जिभिया लरातिया ..  :-))))

 

सांच कहत बानी रौआ, गोइठा पर के अउटल सोन्ह भईसी के दूध के दही आ ओकर साढ़ी आय हाय हाय ....भेटाइल इ शहर में मुश्किल बा भाई, मुंह भर गइल .......लार से अउर कईसे :-))))))))))

:-)))))))) 

भाई आरके पाण्डेय ’राज’ जी के एह गीते के ई असर ह, गणेशभाई जी.  :-)))))))))))

 

 बंसखट पर लेट के, डोलावल बेना के हवा जस राउर ई रचना आनन्द देता..... बहुत आनन्द आ गइल......

आहियाहि !! ... :-))))

 

गज़ब के... . बेजोड़ जोड़ लगवनी शुभ्रांशु भाई |

भाई आरके पाण्डेय ’राज’ जी, राउर एह गीत पर मन दुलकी मरले ओह बगइचा में चहुँप गइल जवना के एक किनारे इनार रहुए आ ओही से सटल एगो रहे शिवाला. जवना के चउतरा पर हमनी के लोटाइल फिरीं जा. 

आपन दुआर, आपन डीह, आपन माटी हाल्दे केहू ओरियावे ना, भलहीं दुर-परोजन कवनो होखो.  जीवन के सांझ होत ना होत पंछी घुरियाइल अपना डाढ़ि के ओही घोंसला में चलि आवेला.  जवन, अइसन ना भइल त जरूरे कवनो बड़हन फेरा होखी, ई बूझाला. ओइसना पंछियन के गोहिरावत राउर गीत (रचना) बोल-फुहार के टाँसी मारत मरुआइल हिरदा पर मरहम लगा रहल बा.  एह रेघार में बड़हन दर्द बा ए भाईजी.

बहुत-बहुत बधाई आ हमार हार्दिक शुभकामना स्वीकार करीं.

 

गणेश जी भाई, अरुण भाई, सौरभ भाई, शुभ्रांशु भाई.......अपने सभे के हमार प्रणाम आ हमार एह छोटहन रचना पर राउर सभे के प्रेरणात्मक आ उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया खातिर रउवा सभे के कोटिशः धन्यवाद आ आभार व्यक्त कर रहल बानी. 

गणेश जी भाई, अपने त हमार रचना के साथ में गाँव के चुल्हानी के फोटो लगा के हमार रचना के स्वर्ण आभूषण प्रदान कर देनी. हमार रचना में जीवन्तता आ गईल. 
कहल बा की जब दिल के दरद आवाज ना बन के शब्द बन जाला, तब कविता के शक्ल अख्तियार करके आपन हाल कुहुंक-कुहुंक के सुनावेला. काल्ह मकर संक्रांति ह आ एह अवसर पर गाँव में बीतल बचपन के दिन इयाद आ गईल. हमार ई रचना ऊहे कुहुंकत मन के अभिवक्ति ह.........अउर का कहीं ?
राउर भाई
आर के पाण्डेय 'राज'
पटना/लखनऊ

माटी के कड़ाही में जमावल दही के संगे अगर ओखर मे तुरंते के कुटाइल गरम गरम चिऊरा के बात ना होखे त  बुझाई  कुछऊ छूटल जाता .

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service