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पढ़ते-२ गौरव अचानक ही दीप्ति से बोला, "दीदी आपका घर कितना बड़ा और सुन्दर है. हमारी झुग्गी तो बहुत छोटी है और वो तो इतनी सुन्दर भी नहीं है." दीप्ति ने गौरव को समझाते हुए कहा, "गौरव एक दिन तुम्हारा घर भी ऐसा ही होगा." "पर दीदी हमारा घर ऐसा कैसे होगा जबकि मेरे माँ-बाप तो बहुत गरीब हैं. वो तो आप हम गरीब बच्चों को मुफ्त में ट्यूशन पढ़ा देती हैं वर्ना हमें तो कोई अपने आस-पास भी नहीं फटकने देता." गौरव दुखी हो दीप्ति से बोला. दीप्ति ने प्यार से गौरव के सर पर हाथ फिराते हुए उसे समझाया, "देखो गौरव यदि तुम मेहनत से अपनी पढ़ाई करोगे तो एक दिन तुम्हारी अच्छी सी नौकरी लगेगी और तुम्हारे पास ऐसा ही बल्कि इससे भी अच्छा और बड़ा घर होगा." "सच्ची दीदी पढ़ाई करने से इससे भी अच्छा घर मिलता है तब तो मैं खूब पढ़ाई करूंगा." इतना कहकर गौरव अपनी किताबों में खो गया.

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Comment by SUMIT PRATAP SINGH on December 9, 2011 at 1:32pm

रवि कुमार गिरी जी व अविनाश बागडे जी प्रतिक्रिया के लिए आभार...

प्रार्थना करना उस बच्चे को एक दिन ऐसा शानदार घर मिले...

Comment by AVINASH S BAGDE on December 5, 2011 at 8:40pm

aashawadi laghukatha badhai.

Comment by Rash Bihari Ravi on December 1, 2011 at 2:48pm

bahut sundar zyan bardhak khani

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