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श्री सतीश मापतपुरी जी लिखते है कि.....

 

OBO  पर साहित्य की कई विधाएं, जैसे -गीत,कविता,ग़ज़ल, मुक्तक, लघुकथा आदि मौजूद है, कहानी भी एक सशक्त विधा है. धारावाहिक रूप में (क्रमश:) कहानी को OBO पर रखा जा सकता है की नहीं? OBO -सम्पादक- मंडल,
प्रधान सम्पादक, ADMIN तथा OBO परिवार के सभी सदस्यों की राय सादर
आमंत्रित है. मेरी राय है कि कहानी के बिना OBO में कुछ खाली -खाली
सा लगता है.

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आदरणीय सतीश मापतपुरी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन अपने नाम की तरह ही ओपन है, यह आप का अपना परिवार है, OBO साहित्य की हर विधा का स्वागत करता है, OBO पर पूर्व मे कहानी और लघु कथा प्रकाशित हो चुके हैं और होते रहते हैं. यदि कोई साहित्यकार कोई लम्बी कहानी धारावाहिक के रूप मे पोस्ट करना चाहते हो तो उनका ह्रदय से स्वागत है, ब्लॉग section मे अपनी कहानी अंक-१,२,३,...... के साथ पोस्ट कर सकते है |

लघु कथा का एक विशेष आयोजन माह में एक बार रखा जा सकता है | यह अच्छी शुरुआत होगी !

 मैं अभिनवजी की बात का शत -प्रतिशत समर्थन करते हुए अपनी तरफ से भी इस आयोजन  की सिफारिश करता हूँ.

आदरणीय अरुण जी आपका सुझाव सदैव प्राप्त होते रहते है जिससे ओ बी ओ को ज्यादा बेहतर करने में सहयोग मिलता है, लघु कथा / कथा बहुत ही कम पोस्ट किये जाते रहे है, इसलिए मासिक रूप से आयोजन करने में हिचकिचाहट है, ऐसा न हो कि केवल दो-चार पोस्ट ही प्राप्त हो |

इसलिए मैं सदस्यों से आह्वान करता हूँ कि अधिक से अधिक अप्रकाशित लघु कथा ब्लॉग में पोस्ट करे, उचित संख्या में जब पोस्ट आने लगेंगे तो लघुकथा विशेष आयोजन किया जा सकेगा |

आदरणीय सतीश मापतपुरी जी आपका भी आभार |

के के बिरला पुरस्कार की सूचना के बारे में पढ़ा |अन्य इस प्रकार की सूचनाओं का आदान प्रदान हो तो अच्छा हो | ओ बी ओ लघु पत्र पत्रिकाओं में संपादक से पत्रव्यवहार कर परस्पर प्रचार प्रसार का रास्ता निकाल सकता है | इससे नए सदस्य जुड़ेंगे |

आपका सुझाव सराहनीय है | मिडिया से जुड़े सदस्यों से भी निवेदन है कि ओ बी ओ के बारे में आर्टिकल जहाँ संभव हो वहां प्रकाशित करे जिससे आपका ओ बी ओ परिवार और समृद्ध हो सके |

आदरणीय एडमिन सर!मेरा एक सुझाव है कि ओ.बी.ओ.प्रबंधन के तरफ से प्रतियोगिता,मुशायरा एवं महोत्सव के ही समान किसी निश्चित विषय विशेष पर निश्चित दिवसीय परिचर्चा का आयोजन भी किया जाना चाहिए।यथा-
1-स्वतंत्रता आन्दोलन में हिन्दी साहित्य की भूमिका।
2-दलित एवं साहित्य।
3-महिला एवं साहित्य।
4-'वियोगी होगा पहला कवि' कहां तक सच।
5-साहित्य बदलता है जमाना या जमाना साहित्य को।
6-साहित्य में समाज।
7-हिन्दी साहित्य और अंग्रेजी साहित्य:शिल्प,भाषा और कथ्य का तुलनात्मक अध्ययन।
8-बाल साहित्य की कमी क्यों?
9-अन्तर्जाल:साहित्य का नया आकाश।
आदि।
आदरणीय आप विचार करें की सुझाव उचित है यह नहीं।जहां तक मेरा मानना है ओ.बी.ओ. की गरिमा प्रतिष्ठित ही होगी।
सादर।

मेरी राय में किसी भी साहित्यिक मंच पर साहित्य की हर विधा के लिए स्थान होना चाहिए चाहे वह क्षणिका हो या नवगीत, लघुकथा या कहानी।

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