For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमें क्या हो गया है-- छोटी सी कहानी

उसके सब्र की इन्तेहाँ हो रही थी, लगभग दो घंटे बीत चुके थे उसे पार्क में आये हुए. घर में सुबह ही उसे पता चल गया था कि परी अपनी माँ के साथ आ रही है. छह महीने तो बीत ही चुके थे उसे परी को देखे लेकिन कोई रास्ता भी नहीं था उसके पास जिससे वह परी को एक नजर देख भी सके. पत्र लिखने की हिम्मत कहाँ से आती जबकि उसे खुद पता नहीं था कि परी उसके लिए क्या सोचती है. 

साथ पढ़ते थे दोनों और एक ही मोहल्ले में रहते थे, उस समय आने जाने के लिए बहुत हुआ तो एक साइकिल मिल जाती थी, वर्ना पैदल ही स्कूल जाना और आना. न तो कोई कोचिंग थी और न ही ट्यूशन जिसके चलते कहीं और मुलाकात हो सके. लेकिन जो भी हो, उसे परी से बात करना, उसे देखना बहुत अच्छा लगता था. शाम को खेलते समय भी अक्सर दोनों एक ही खेल खेलते थे और उस समय तक परी एक लड़की है और वह एक लड़का, ऐसा फ़र्क़ उसके जेहन में नहीं आता था. उनके घरवालों का भी एक दूसरे के घर आना जाना था और एक सामान्य जिंदगी मजे में बीत रही थी.

उसके पिताजी का तबादला नयी जगह हो गया और उससे वह मोहल्ला, वह शहर छूट गया. कुछ महीने तो नयी जगह में व्यस्तता में बीत गए लेकिन जब सब चीजें सामान्य हुई और पढ़ाई लिखाई के लिए कॉलेज जाना शुरू हुआ तो रह रह कर परी याद आने लगी. धीरे धीरे उसे यह एहसास तो हो गया कि परी उसे एक दोस्त से कुछ ज्यादा ही लगती है लेकिन उससे ऊपर वह कुछ सोच नहीं पाता था. उसके पास परी की एकाध किताबें, कुछ कॉमिक्स और एक दो नोटबुक थीं जिसमें ऐसा कुछ भी नहीं लिखा था जिससे किसी नतीजे पर पहुंचा जाए. लेकिन समय के साथ साथ उसे लगने लगा था मानो परी ने वह किताबें इत्यादि उसके पास जानबूझकर छोड़ी थी. बस एक चीज उसे किसी भी किताब में नहीं मिली और वह चीज थी कोई सूखा हुआ गुलाब. 

उसके घर के बिलकुल पास एक छोटा सा पार्क था जहाँ वह अन्य लड़कों के साथ क्रिकेट और फुटबाल खेलता था. अब उम्र बढ़ने के साथ साथ संकोच भी आने लगा था वर्ना पुराने मोहल्ले में तो लड़के लड़कियां साथ साथ ही खेलते थे. आज भी रविवार था और लड़कों की टोली खेलने के बाद जा चुकी थी लेकिन वह अभी भी वहीं खड़ा था. दरअसल सड़क होने के चलते परी का रिक्शा पार्क के सामने से ही गुजरने वाला था और वह उसकी एक झलक देख पाता.    

अचानक एक रिक्शे के घंटी की आवाज आयी, उसने पलटकर आवाज की तरफ देखा. रिक्शे पर परी अपनी माँ के साथ उसके घर ही जा रही थी. कितनी प्यारी लग रही थी परी, उसने मुस्कुराकर परी को देखा, परी की निगाह भी उससे टकराई और वह भी मुस्कुरा दी. लेकिन संकोच दोनों तरफ था और वह कुछ सेकेंड रिक्शे को जाते देखता रहा, मन तो कर रहा था कि वह भी दौड़कर रिक्शे के पीछे पीछे जाए और परी के साथ खूब सारी बातें करे. लेकिन वह देखता रहा कि रिक्शा उसके घर के सामने रुका, परी अपनी माँ के साथ अंदर चली गयी. उसके कदम मानों जड़ हो गए, वह चाह कर भी घर की तरफ नहीं जा पाया. बगल के मोहल्ले में उसके दोस्त का घर था, उसके कदम दोस्त के घर की तरफ बढ़ गए. आगे पान की दूकान पर रखे रेडियो से बेहद खूबसूरत गाने की आवाज आ रही थी "मिलो न तुम तो हम घबराएं, मिलो तो आंख चुराएं, हमें क्या हो गया है". 

मौलिक एवम अप्रकाशित 

Views: 299

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on February 15, 2022 at 3:18pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब, अच्छी प्रस्तुति है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"    प्रस्तुति की सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय मिथिलेश जी. सादर "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service