For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिक्षा की जब ज्योति जले, विकसित होवे लोग।  

समाज को जब पंख मिले, खुशियाँ भोगें लोग ॥ 

भूख गरीबी जीत के, निर्भर हुआ अब देश ।

बोए बीज अब प्रेम के, प्रगति कर चला देश ॥  

गलत इरादे दुश्मन के, बढ़ा रहे अब क्लेश । 

हम रखवाले वतन के, जग को दे दो संदेश ॥  

परचम ऊंचा हो तभी, फैले चारों ओर । 

आन मान सम्मान सभी, करें साथ गठजोर ॥ 

करुणा सबके मन जगे, कोई दुखी न होय ।

हृदय से सब गले मिले, नफरत दूरी होय ॥

आतंकवाद के कष्ट को, जल्दी करेगे दूर ।  

विधि के सम्मुख झुकने को, उन्हें करो मजबूर ॥

उड़ते परिंदे गगन में,बहती हवा के संग ।

नूतन रंग देख नभ में,दुनिया रह गई दंग ॥

देश की सीमा सुरक्षित, करते आज सपूत ।

निज प्राणो की दे अहुति, होते सब अभिभूत ॥  

 मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

 

Views: 459

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Ashery on January 18, 2016 at 3:25pm

आपको बहुत बहुत धन्यवाद मेरी रचना को पढ़ने और मेरे उत्साह को बढ़ाने के लिए

 

Comment by PHOOL SINGH on January 18, 2016 at 2:38pm

अति सुंदर रचना आपको बहुत  बहुत बधाई स्वीकार हो

Comment by Ram Ashery on January 17, 2016 at 3:08pm

मेरी हौसला आबजायी के लिए आपको मेरी ओर से बहुत बहुत आभार स्वीकार हो । 

Comment by Samar kabeer on January 17, 2016 at 10:28am
जनाब राम अशेरय जी आदाब,इस प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें
Comment by Ram Ashery on January 17, 2016 at 4:08am
आपको मेरा बहुत बहुत अभिवादन स्वीकार हो मेरे विचारों को आपने इस लायक समझा और लोगों तक पहुंचाया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service