For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नील गगन हे ! सावधान |
साध ये ..सतरंगी कमान |
आया है... कौन काज ...
अनंग ले ...ये काम वान ||

शाख शजर के डेरा डाल |
मन करे..घायल बेहाल |
हरी हरियाली पाँखों बीच ..
ओढ़े बैठा सतरंगी शाल ||

मौसम ये भीगा-भीगा आया |
काले-काले...बदरा लाया |
वावली हुईं यादें सांवरिया की ..
मन व्याकुल मिलन को भरमाया ||

नई नवेली वधु सी मैं शरमाऊं |
सोंच-सोंच कर..मैं घबराऊं | 
कारन जिसके अब तक जली मैं 
इस सावन यूँ ही ना मर जाऊं ||

----------अलका गुप्ता -----------
यह मेरी मौलिक व अप्रकाशित रचना है 

Views: 511

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Alka Gupta on November 18, 2013 at 2:31pm

हार्दिक आभार आपका एवं आपके प्रेरक शब्दों हेतु आदरणीय साथियों ......!!!!!

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 5:06am

इस सुंदर भावपूर्ण गीत के लिए बधाई आ0 अलका जी....

Comment by बृजेश नीरज on November 3, 2013 at 11:05am

बहुत सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!

आखिरी बंद में दूसरी और तीसरी पंक्ति में कही गयी बात पूरी नहीं हुई है. अंतिम पंक्ति उसी तारतम्य में होनी चाहिए थी.

सादर!

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 31, 2013 at 10:28pm

आ. अलकाजी बधाई सुंदर भाव सुंदर गीत।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 31, 2013 at 7:36pm

आ0 अल्का जी,  सुंदर रचना। सुन्दर भाव।  शुभकामनाओं सहित हार्दिक बधाई स्वीकारे।  सादर,

Comment by Ravi Prabhakar on October 31, 2013 at 6:28pm

शाख शजर के डेरा डाल |
मन करे..घायल बेहाल |
हरी हरियाली पाँखों बीच ..
ओढ़े बैठा सतरंगी शाल ||

क्‍या भाव उकेरे है अलका जी, हार्दिक बधाई स्‍वीकार करें

Comment by विजय मिश्र on October 31, 2013 at 6:04pm
बिरह पर एक सुंदर भाव रचना प्रस्तुति के लिए साधुवाद अलकाजी .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 31, 2013 at 1:58pm

आदरणीया अलका जी , सुन्दर प्रस्तुति के लिये आपको हार्दिक बधाई !!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service