For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी माँ-डॉ नूतन गैरोला

मेरी माँ

जब मेरी माँ २१ साल की थीं


रात के सघन अंधकार में,
तेरे आंचल के तले,
थपकियो के मध्य,
लोरी की मृदु स्वर-लहरियों के संग,
मैं बेबाक निडर सो जाती थी माँ |

और नित नवीन सुबह सवेरे
उठो लाल अब आंखें खोलो
कविता की इन पंक्तियों के संग
वात्सल्य का मीठा रस घोले
बंद पलकों पे स्नेह चुंबन देती
मेरे दिन और मेरी रातों को
सार्थक बना देती थी तू माँ

बुरे वक़्त में भी साहस से
सदा सत्य का थामो हाथ,
खुद एक रोटी कम खा लेना पर,
परहित के लिए बढ़ाए रखना हाथ
नैतिकता के मूल्य को स्वीकारो
ऐसी सीख सिखाती थी माँ ||


कर्मठ, साहस, दया,ज्ञान ,
सम्मान, सहायता, जन कल्याण
नित नैतिकता-मानवता का सिंचन
कर किया हमारा भी उद्धार ||

तुम सुन्दरता की मूरत थी
तुम देवी की सूरत थी
तूम सतत प्रेमिका पत्नी थी
तुम वात्सल्य की मूर्ति थी
प्रेम आलिंगन में भी रख हमको तुम
कठिनतम राहों पर ऊंचा उड़ो
ऐसा हौन्श्ला भरती थी माँ ||



सहज सुंदर शालीन कोमल
ऐसी मेरी जननी माँ
मृत्योपरांत भी सदा की तरह
मन-भावन मुस्कराती माँ
दुःख में भी सुख का अहसास भरो
ऐसी सीख सिखाती माँ ||

तुम माँ सदा संग मेरे हो
आदर्श तुम्हारे खो दूं गर
ऐसा दिन न आए माँ कि तुमसे जुदा हो जाऊं तब मै
..नहीं माँ नहीं ..
माँ मैं तेरी दी प्रेरणा को दोहराऊंगी
आदर्श मार्ग पर चलते, मै सदा-सदा मुस्कराऊंगी ||

माँआआआअ ~~~~~~~~~~~~

 

Views: 432

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Nutan on November 24, 2010 at 10:36pm
धन्यवाद गणेश जी.. माँ एक शब्द और ब्रह्मांड सारा है .. माँ के बारे में कभी पूरा कह ही नहीं सकते..

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2010 at 7:21pm
बेहद खुबसूरत, माँ जैसा दूसरा कोई नहीं , बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, आपकी कविता पढ़ना सुखद लगा |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service