For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लगता इसकी मति गई मारी बाबाजी

नीयत हो यदि साफ़ हमारी बाबाजी
नियति भी तब लगेगी प्यारी बाबाजी

पुस्तक, सी डी और  दवायें बेच रहे
सन्त नहीं, वे  हैं व्यापारी बाबाजी

कोई किसी का सगा नहीं है दुनिया में
सब मतलब की रिश्तेदारी बाबाजी

दाज नहीं तो दूल्हा बैरंग लौट गया
इसको कहते दुनियादारी बाबाजी

तुम पूछो या मत पूछो, मैं कहता हूँ
क़र्ज़ है सबसे बड़ी बीमारी बाबाजी

ऊँची एड़ी वाले सैंडिल फिसले तो
लग जायेगी चोट करारी बाबाजी 

अलबेला खत्री तो कुछ भी लिखता है
लगता इसकी मति गई मारी बाबाजी

-अलबेला खत्री

Views: 738

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 23, 2012 at 12:48am

नजरों से कुछ आज न बचना हो मुमकिन.

ऐसे घातक तीर चला दो बाबाजी ..     जय हो जय हो अलबेला जी ! :-)

Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 11:08pm

हा हा हा
आदरणीय आपने तो गज़ब कर दिया
जैसे लड्डू के ऊपर चमकीला वर्क  अलग ही दिखता है
उसी भान्ति आपके शब्द अलग ही छटा  बिखेरते हैं
__धन्य हो प्रभु !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2012 at 11:01pm

अलबेला खत्री तो कुछ भी लिखता है
लगता इसकी मति गई मारी बाबाजी

इस शैली में शेर निकाले, बच रहना
लोग करेंगे  ’सानी-पानी’  बाबाजी

वैसे, लोगों का काम है कहना.. .  उनको रहने-कहने-बकने दें.  आप अपनी जिम्मेदारियों को ऐसे ही निभाते चलें.

आपका सादर आभार, भाई जी.

 

Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 2:31pm

जय हो उमाशंकर जी जय हो........
आपकी अनुकम्पा  ऊर्जा देती है
___सादर

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 22, 2012 at 9:00am

बहुत सुन्दर रचना मन प्रफुल्लित हुवा प्रभु ....सभी लाईन एक से बढ़ कर एक है सभी में जनसन्देश है

अलबेला खत्री तो कुछ भी लिखता है
लगता इसकी मति गई मारी बाबाजी.......  कुछ भी लिखने  का मतलब.....आत्मा की आवाज उतरती है मति तो उनकी मारी  गई है

बहुत बहुत बधाई अलबेला जी

Comment by Albela Khatri on July 22, 2012 at 8:24am

बाबा लोगों के ख़ूब मज़े हैं वीनस जी,
एक बार बाबाजी बन जाओ
फिर कुछ करने की ज़रूरत नहीं ...हा हा हा

__आपकी टिप्पणी सर आँखों पर..........

Comment by वीनस केसरी on July 22, 2012 at 1:46am

आपके बाबाजी का होते रहना मुझे भी बाबामय कर गया ...
इसका परिणाम जल्द ही दिख सकता है
जय हो .....

Comment by Albela Khatri on July 21, 2012 at 8:28pm

बहुत बहुत धन्यवाद अविनाश जी
सादर

Comment by Albela Khatri on July 21, 2012 at 7:20pm

धन्यवाद आदरणीय राज जी
सादर

Comment by Albela Khatri on July 21, 2012 at 6:45pm

आपका स्नेह सर आँखों पर संदीप जी
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service