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कुश्ती का सरदार गया है बाबाजी

रुस्तमे-हिन्द  दारासिंह  के देहावसान पर  उनके  प्रशंसक अलबेला खत्री की विनम्र शब्दांजलि

नील गगन के पार गया है बाबाजी
छोड़ के यह संसार गया है बाबाजी

हरा सका न कोई जिसे अखाड़े में
मौत से वह भी हार गया है बाबाजी

देवों को कुछ दाव सिखाने कुश्ती के
कुश्ती का सरदार गया है बाबाजी

अपनी माता के संग भारत माता का
सारा  क़र्ज़ उतार गया है बाबाजी

हाय! रुस्तमे-हिन्द को कैसा रोग लगा
हर इलाज बेकार गया है बाबाजी

रिंग का किंग, रिंग तोड़ चला इक झटके में
सुपर किंग के द्वार गया है बाबाजी

दारासिंह के देह अन्त पर 'अलबेला'
दुःख में यह गुरूवार गया है बाबाजी

-अलबेला खत्री

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Comment

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Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 11:12pm

आपका स्वागत है बड़े भाई संदीप द्विवेदी जी........
अलविदा रुस्तमे-हिन्द !

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 13, 2012 at 7:28pm

रूस्तमे हिंद स्व० दारा सिंह जी को अर्पित आपकी इस भावभीनी श्रद्धांजलि में हम भी शरीक़ है अलबेला जी! इश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें|

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 3:56pm

आपका स्वागत है रेखा जी................

Comment by Rekha Joshi on July 13, 2012 at 3:25pm

अलबेला जी ,काव्यांजली द्वारा आपने रुस्तमे हिंद को अर्पित किये  है श्रद्धा सुमन ,उस वीर पुरुष को मेरा नमन  

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:58am

आपका स्वागत है डॉ प्राची सिंह जी.....
सादर

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:56am

स्वागत है  उमाशंकर जी......
हम सभी व्यथित थे...........

__प्रभु उस सच्चे सूरमा को अपने श्री चरणों में स्थान दें............विनम्र श्रद्धांजलि


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 13, 2012 at 9:44am
आदरणीय अलबेला जी..
इस भावभीनी काव्य श्रद्धांजलि के हर भाव को श्रद्धानत भाव से महसूस करते हुए, दारासिंह जी को सादर श्रद्धांजलि.
Comment by UMASHANKER MISHRA on July 13, 2012 at 9:44am

सही कहा अलबेला जी कल का दिन हमारे लिए मातमी बना रहा मैंने दारासिंग जी की कई कुस्तिया देखी  थी

उनकी कुस्ती देखने के लिए से महीनों से इंतजार किया करता था|उनकी फिल्मे देखने के लिए मन उत्साहित रहता था

उनके और रंधावा के बिच कुस्ती देखते हम दाँव ढूंढा करते थे उनका रूम घूमना बगली मारना धोबी पछाड लगाना ....

हे राम अपने इस हनुमान को अपनी शरण में रखना

दारा सिंग जी को विनम्र श्रध्दांजलि

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:30am

आपके स्वागत का स्वागत है  मित्रवर अम्बरीश जी.......
आभार
______ :-)   :-)   :-)   :-)

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:28am

आपका स्वागत है  संदीप कुमार पटेल; जी.......
आभार

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