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तेरे बिना लगती है जिंदगी अधूरी सी |

तेरे बिना लगती है जिंदगी अधूरी सी |
अपनी बज़्म की है अब हर ख़ुशी अधूरी सी ||

बन के अब्र कोई ,बरसाए बारिशे-उल्फत ,
मुहब्बत के बिन तो है दिल की ज़मीं अधूरी सी ||

इसको गुनाह समझ ,चाहे समझ खता इसको ,
हमसफ़र के बिन लगती है खुदी अधूरी सी ||

जाम छलके हैं चाहे रोज़ मैकदे में, पर ,
तेरे बिन साकीया ,मैकशी अधूरी सी |

मैं चाहता हूँ अक्सर देखना खुदा को ,
जाने क्यों रह जाए बन्दगी अधूरी सी |

उनके ख्यालों में खोकर "नजील" अब मै तो ,
रात भर करूं सितारों की गिनती अधूरी सी ||

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Comment

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Comment by Nazeel on January 23, 2012 at 5:20pm

धन्यवाद किरण जी ...हार्दिक आभार ...:-)

Comment by Kiran Arya on January 23, 2012 at 12:27pm

मैं चाहता हूँ अक्सर देखना खुदा को ,
जाने क्यों रह जाए बन्दगी अधूरी सी |.........लाजवाब नजील जी..............

Comment by Nazeel on January 23, 2012 at 11:30am

धन्यवाद हबीब भाई ...उत्साहित करने हेतु हार्दिक आभार ...:-)

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on January 22, 2012 at 7:41pm

अच्छे अशआर कहे हैं नाजिल भाई.... हार्दिक बधाई...

Comment by Nazeel on January 22, 2012 at 6:42pm
धन्यवाद बागी जी .. हौसला बढाने हेतु हार्दिक आभार ,,,,:)

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2012 at 5:39pm

नाजिल साहिब, सुन्दर शेर कहे है, इस प्रयास पर दाद स्वीकार करे |

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