आपका हार्दिक स्वागत है, भाई श्यामलजी. आपकी उक्त रचना ’कवि ताक रहा फूल’ ने हर पाठक का ध्यान खींचा है. अपने विशिष्ट कथ्य और इंगित करते शिल्प के कारण वह एक अद्भुत रचना बन गयी है. सधन्यवाद. .
सादर अभिवादन ! मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "कवि ताक रहा है फूल" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे,धन्यवाद, आपका गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक ओपन बुक्स ऑनलाइन
At 10:42am on November 17, 2011, shambhu nath said…
प्रखर लेखक और पत्रकार श्री श्यामल जी का ओ बी ओ मंच पर हार्दिक स्वागत !!! आपके आने से हम और भी समृद्ध हुए !! दैनिक जागरण में आपके साहित्यिक और सांस्कृतिक लेख और ब्लॉग पर आपकी रचनाएँ बेहद पसंद की जाती हैं !!! आपका पुनः हार्दिक अभिनन्दन !!!!! शुभ लेखन !! शुभ साहित्य !!!
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
Shyam Bihari Shyamal's Comments
Comment Wall (12 comments)
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online
sawagat h shyam ji
आपका स्वागत है श्यामलजी.......
श्यामल जी, आपका बहुत स्वागत है और आपकी सुंदर रचना 'कवि ताक रहा है फूल' के लिये आपको बहुत बधाई !
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
आपका हार्दिक स्वागत है, भाई श्यामलजी. आपकी उक्त रचना ’कवि ताक रहा फूल’ ने हर पाठक का ध्यान खींचा है. अपने विशिष्ट कथ्य और इंगित करते शिल्प के कारण वह एक अद्भुत रचना बन गयी है.
सधन्यवाद. .
तख़्त के शैतान को
इसी का बहुत ग़म है !...kya bat hai Shyamal ji.
’कवि ताक रहा है फूल’ को इस माह की सर्वश्रेष्ठ रचना चयनित होने पर श्याम बिहारी श्यामलज़ी मेरी हार्दिक बधाइयाँ.
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
आपकी रचना ’कवि ताक रहा है फूल’ को इस माह की सर्वश्रेष्ठ रचना चयनित होने पर मेरी हार्दिक बधाइयाँ.
आपकी संलग्नता उदाहरण हो.
सधन्यवाद.
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
आदरणीय श्री श्याम बिहारी श्यामल जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "कवि ताक रहा है फूल" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है |
इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे,धन्यवाद,
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
dhanyavaad sir.
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
आपका स्वागत है श्रीमान्. मित्रता-अनुरोध हेतु हार्दिक धन्यवाद. आश्चर्य है, हम इस मंच पर अभी तक अजनबी ही थे ! सहयोग बना रहे.
प्रखर लेखक और पत्रकार श्री श्यामल जी का ओ बी ओ मंच पर हार्दिक स्वागत !!! आपके आने से हम और भी समृद्ध हुए !! दैनिक जागरण में आपके साहित्यिक और सांस्कृतिक लेख और ब्लॉग पर आपकी रचनाएँ बेहद पसंद की जाती हैं !!! आपका पुनः हार्दिक अभिनन्दन !!!!! शुभ लेखन !! शुभ साहित्य !!!
Welcome to
Open Books Online
Sign Up
or Sign In
कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
6-Download OBO Android App Here
हिन्दी टाइप
देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...
साधन - 1
साधन - 2
Latest Blogs
तुझे पाना ही बस मेरी चाह नहीं
कुंडलिया छंद
एक ही सत्य है, "मैं"
ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)
दोहा पंचक. . . करवाचौथ
ग़ज़ल
संबंध
ग़ज़ल ; पतझड़ के जैसा आलम है विरह की सी पुरवाई है
दोहा सप्तक. . . . संबंध
दोहा पंचक. . . . दरिंदगी
ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
दोहा दसक- रोटी
दोहा पंचक. . . . विविध
दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
दोहा दसक - गुण
ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
दोहा दसक
Latest Activity