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Male
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uttar pradesh pratap garh
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pratapgarh
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service
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Librarian and hindi and bhojpuri song.,poem.article writer

Shambhu nath's Blog

मन

पता नहीं क्यों मेरा मन॥ फ़िदा हुआ है आप पे॥

कर सिंगार मै कड़ी सामने॥ आप क्यों नहीं ताकते॥

देखो कलियाँ खिल रही है॥ ताक रही है आप को॥

बातो को कैसे सुन रही है॥ समझ रही है बात को॥

अब तुम भी तो समझ गए हो॥ क्यों नहीं फिर भापते॥

आँखों में अब तुम बसे हो॥ तुम ही मेरी जुबान हो॥

तुम तमन्ना हो मेरी॥ तुम ही मेरी शान हो॥

पा के मौसम की आहट॥ दिल को नहीं रोकते॥

Posted on February 15, 2012 at 12:30pm

आँखों में बसे हो तुम...

आँखों में बसे हो तुम...

प्रीतम…

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Posted on December 10, 2011 at 3:16pm — 1 Comment

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