For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - सलीम रज़ा रीवा

ग़ज़ल 

.

क्यूँ  कहते हो कोई कमतर होता है !
दुनिया  में  इन्सान बराबर होता है !
 
पाकीज़ा  जज़्बात  है  जिसके सीने में !
उसका  दिल  भरपूर मुनौअर होता है !
 
ज़ाहिद का क्या काम भला मैख़ाने  में !
मैख़ाना तो  रिंदों  का घर  होता है !
 
जो  तारीकी  में  भी  रस्ता दिखलाए !
वो  ही हमदम  वो ही रहबर  होता है! 
 
टूटा -फूटा  गिरा-पड़ा कुछ  तंग सही !
अपना घर  तो अपना ही घर होता है! 
 
ताल  में  पंछी पनघट गागर चौपालें !
कितना सुन्दर गाँव का मंज़र होता है! 
 
कैद  करो  न  इनको पिंजरों में कोई !
अम्न  का पंछी "रज़ा''  कबूतर होता है! 

 

SALIM RAZA REWA

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 670

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on August 11, 2013 at 11:02am
कोई जवाब नही सलीम साहब आपकी इस ग़ज़ल
का बहुत ही खूब सूरत है .....
एक एक शेर एक एक शेर से बढ़कर है ।
Comment by SALIM RAZA REWA on August 10, 2013 at 8:37pm

giriraj ji,,vijay mishraji,,aakash verma ji,,sandeep ji,,keval prasad ji ,,basant nema ji,, aur shyam narayan verma ji ,,-aap tamam logo ki ruhani duaae mili khushi hui--gazal pasand aai SHUKRIYA


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2013 at 7:59pm

टूटा -फूटा  गिरा-पड़ा कुछ  तंग सही !

अपना घर  तो अपना ही घर होता है!

वाह सलीम भाई वाह !! लाख लुभाये महल पराये , अपना घर फिर अपना घर है ( मुकेश जी का एक गाना है )

Comment by विजय मिश्र on August 10, 2013 at 5:12pm
"जो तारीकी में भी रस्ता दिखलाए !
वो ही हमदम वो ही रहबर होता है! " - बेहद खूबसूरत और करीने से रखी गयी गजल . रज़ा भाई ! मुबारकवाद कुबूल फरमाएँ .
Comment by Akash Verma on August 10, 2013 at 4:00pm

Bahut Badiya Saleem ji...
apse dubara mulakat hi nai hui apse....

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 10, 2013 at 3:48pm

बहुत सुन्दर आदरणीय राजा जी 

बहुत बहुत दाद क़ुबूल कीजिये 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 10, 2013 at 3:09pm

आ0 रजा भाई जी, बेहतरीन गजल। //टूटा -फूटा गिरा-पड़ा कुछ तंग सही !
अपना घर तो अपना ही घर होता है!
// वाह! क्या बात है। तहेदिल से बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by बसंत नेमा on August 10, 2013 at 1:37pm

बहुत सुन्दर ..बधाई सलीम भाई जी 

Comment by Shyam Narain Verma on August 10, 2013 at 1:05pm
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"एक छोटा सा अंतर है किसी को अपना उस्ताद या गुरु मानते हुए संबाेधित करने और मंच पर किसी…"
19 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
42 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने गिरह भी ख़ूब है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
44 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार एक ग़ज़ल क ही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
45 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखना एक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना उसकी तारीफ़ में जो…"
47 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
48 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
49 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
49 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय गजेन्द्र जी बहुत शुक्रिया आपका बेहतरी का प्रयास करूंगी सादर"
49 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
50 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
50 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए गिरह भी ख़ूब  सादर"
52 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service