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गीतिका8+8....बरगद पीपल

बरगद पीपल पनघट छूटे 

बालसखा सब नटखट छूटे 

गोपालों की शोख़ ठिठोली 

चौपालों के जमघट छूटे 

बालू के वो दुर्ग महल सब 

तालाबों के वो तट छूटे 

झालर संझा वो चरणामृत 

मंदिर के चौड़े पट छूटे 

मॉलों में क्या कूके कोयल 

अमराई के झुरमुट छूटे

 

धूम कहाँ वो बचपन वाली 

टोली के सब मर्कट छूटे 

हमसे छूटा  गाँव हमारा 

जीने का अब जीवट छूटे

मौलिक व अप्रकाशित  

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 15, 2015 at 9:03am

आदरणीय खुर्शीद भाई , हमेशा की तरह एक और बेहतरीन ग़ज़ल पढवाई आपने । मै भी अपने गाँव पहुँच गया !  आपको हृदय से बधाइयाँ  और शुभकामनायें ॥

Comment by ajay sharma on March 14, 2015 at 10:55pm

हमसे छूटा  गाँव हमारा 

जीने का अब जीवट छूटे..................sir ji kammal ......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 14, 2015 at 9:10pm

आदरणीय खुर्शीद सर बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल हुई है ... छोटी बह्र में कमाल हुआ है, आपकी ग़ज़ल से गुजरते हुए कितना कुछ सीखने मिलता है , बहुत बहुत आभार इस सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए ... सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:36am

आदरणीय शिज्जु सर ,आदरणीय उमेश जी , मैं आपकी ग़ज़लों का फैन हूं ,आपका मेरी ग़ज़ल पर आना मुझे प्रोत्साहित कर रहा है |सादर आभार |

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:34am

आदरणीय लक्ष्मण साहब , आदरणीय सोमेश जी ,आदरणीय मोहन सेठी सर ,आप सभी विद्जनों का हृदय से आभारी हूं |सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:33am

आदरणीय महरिशी त्रिपाठी जी ,आदरणीय श्याम मथपल जी ,हृदय से आभार ,मुहब्बत बनाये रखियेगा |सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:31am

आदरणीया निधि जी , आदरणीय नीरज कुमार जी ,बहुत बहुत आभारी हूं ,स्नेह बनाए रखियेगा |सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:29am

आदरणीय जान गोरखपुरी साहब ,आदरणीय श्याम नारायण साहब , बहुत बहुत आभार आपको गीतिका पसंद आयी |सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:27am

आदरणीय हरिप्रकाश जी ,आदरणीय विजयशंकर जी ,आपके स्नेह का हृदय से आभारी हूं |सादर आभार |

Comment by somesh kumar on March 14, 2015 at 8:49am

हमसे छूटा  गाँव हमारा 

जीने का अब जीवट छूटे

ये वेदना हर उस व्यक्ति को जोड़ती है जिसके जीवन का ये सत्य है |रचना पर बधाई |

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