1211-22-1221-212
दरोज बुझाया जलाया गया मुझे।।
कुछ और नहीं बस सताया गया मुझे।।
यूँ पहली नजर की मुहब्बत ही नेक थी ।
गलत है क़े रस्ता दिखाया गया मुझे।।
मुँड़ेर से महताब जैसा दिखाई दूँ।
वही एक रोगन चढ़ाया गया मुझे।।
मुझे भी यही दौर आसान कह रहा ।
वो दौर बता जो बताया गया मुझे।।
गुलाब सी खुश्बू बिखेरुं कभी कहीं।
कलम से कलम कर लगाया गया मुझे।।
आमोद बिन्दौरी /मौलिक अप्रकाशित
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