For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा – अनकही -

लघुकथा – अनकही -

सुनिधि की ससुराल में इस बार पहली होली थी। वह पिछले तीन दिन से अपने देवर को याद दिला रही थी कि होली में तीन दिन बचे हैं।तैयार हो जाओ।

"भाभीजी, मैं होली नहीं खेलता"।

"पर हम तो खेलते हैं।

"आप खेलो ना, आपको किसने रोका है"।

होली के दिन सुनिधि ने देवर के कमरे में झाँक कर देखा, देवर अपने कंप्यूटर में व्यस्त था, वह चुपके से दोनों हाथों में गुलाल लिये गयी और पीछे से देवर के गालों पर मल दिया।देवर एकदम चीख पड़ा,

"माँ, कहाँ हो, जल्दी आओ,  भाभी ने मार डाला"?

और ज़मीन पर लेट कर छटपटाने लगा।सुनिधि को कुछ पल्ले नहीं पड़ा। वह घबराई सी खड़ी देवर को ताक़ रही थी। उसे लगा कि देवर उसे डराने के लिये नाटक कर रहा है|

सासू माँ ने आते ही आसमान सर पर उठा लिया।सुनिधि को छत्तीस बातें सुना डालीं। पूरे घर में कोहराम मच गया| घर के सभी सदस्य यहाँ तक कि नौकर चाकर भी उसे ऐसे देख रहे थे जैसे वह कोई गंभीर अपराध की दोषी हो।

सासू माँ ने बड़े बेटे को बुलाकर देवर को उठाकर गाड़ी में डाला और सारे घरवाले  अस्पताल  चले गये |

घर पर सुनिधि  अकेली अपने  कमरे में थीं।नौकर सुनिधि को खाने के लिये पूछने आया था लेकिन सुनिधि ने मना कर दिया।भूखी प्यासी रोये जा रही थी।उसका कोमल मन इस बात को समझ ही नहीं पा रहा था कि आखिर उसने क्या गलती कर डाली।

देर रात उसका पति अस्पताल से लौटा। सुनिधि जागी हुयी थी। ऐसी परिस्थिति में नींद आने का तो प्रश्न ही नहीं था| उसकी कुछ पूछने की हिम्मत नहीं हुयी लेकिन उसकी नज़रों में अनगिनत सवाल घूम रहे थे।आखिरकार सुनिधि के पति से ज्यादा देर सुनिधि की रोनी सी, तनावपूर्ण सूरत बरदास्त  नहीं हुयी। उसने ही चुप्पी तोड़ी,

"अब वह खतरे से बाहर है।उसे रंगों से एलर्ज़ी है।उसने तुम्हें तीन दिन पहले ही बता दिया था कि वह होली नहीं खेलता"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 763

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on March 5, 2018 at 5:35pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,

                            प्रासंगिक विषय पर लिखी गई लघुकथा है । मगर यह लघुकथा कालखण्ड दोष से ग्रसित हो गई है क्योंकि होली खेलने का कालखण्ड सुबह का है और सुनिधि अपने पति को सारा घटनाक्रम देर रात को बता रही है । अत: कालखण्ड दोष आ गया है । वैसे आप ख़ुद बेहतर तरीक़े से जानते हैं कि लघुकथा एक क्षण में घटित होने वाली घटना होती है । वह क्षण का प्रतिनिधित्व करती हैत्र। कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ भी है । बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Harash Mahajan on March 5, 2018 at 5:03pm

वाह आदरणीय तेजवीर सिंह जी बहुत ही आला लघु कथा पेश की आपने ।

इस विदा में बहुत कम आया किया हूँ । सस्पेंस आखिर तक कायम रखा आपने एक अच्छी कथा की निशानी है । खूब सर । बहुत बहुत बधाई ।

सादर !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
37 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
48 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
54 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service