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***खरबूजा*** राहिला(लघुकथा)

"अरे अम्माँ ! आपको अहमदाबाद वाले सिद्दीक साहब याद हैं ?"
"आपको जानकर खुशी होगी कि हमने जो दो फ्लैट पसंद किए हैं, उनमें से एक उनके ही पड़ोस में है।इनको तो वही जम रहा है।"
"क्या कह रही हो..! सिद्दीक यहाँ है? बड़ी भली बहू थी उसकी बहुत ही मुहब्बती।"
उसका ज़िक्र आते ही उनकी आँखों में आज भी मुहब्बत उमड़ आयी।
" बस तो फिर डिसाइड हो गया। उसे ही फाइनल कर लेते हैं।क्यों अम्माँ ? सही है न..!"
"और दूसरा वाला फ्लैट कैसा है?"अम्माँ ने प्रतिप्रश्न किया।
"वह भी बहुत बढ़िया है ।कम तो कोई नहीं। "
"तो फिर तुम लोग दूसरा वाला फ्लैट फाइनल कर लो।"वह पानदान का ढक्कन बंद करते हुए बोली। "क्यों अम्माँ !आप ऐसा क्यों कह रही हैं?क्या आप नहीं चाहती कि हमें अच्छे पड़ोसी मिलें। अभी तो आप उनकी बहू की बड़ी तारीफ कर रही थीं।"
"हाँ भई ,वह तारीफ के काबिल तो है इसलिए तारीफ़ कर रही थी।"
"तो फिर?"
वह हैरतजदा होकर अम्माँ का मुँह ताकने लगी । "लेकिन देखो बेटा! जिन पड़ोसियों से घरोवा ज्यादा हो वहाँ आदतों की एहतियात रखना जरा मुश्किल होता है। और संगत का असर तो आता ही है।" "मतलब...!मैं समझी नहीं, आप कहना क्या चाहती हैं अम्माँ ?"उसने दोनों भौंहें सिकोड़ते हुए पूछा।
"बेटा! दोराय नहीं कि वे शरीफ़ लोग हैं।और बहू का तो क्या कहूँ बेहद प्यारी और नेक बच्ची है।" "फिर?"
"लेकिन जब एक नेक औरत की आंखों में हर वक़्त नमी दिखाई दे, तो ऐसी औरत के शौहर से अपने शौहर को दूर रखने में ही भलाई समझो।"
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:34pm
प्रिय नीता दीदी!बहुत आभार रचना को वक़्त देने के लिए ।सादर
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:33pm
आदरणीय कबीर साहब!आदाब,आपसे तो हर रचना पर हौसला मिलता है।इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया।
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:31pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय सर जी!आपकी इतनी सुंदर टिप्पणी ने मन हर्ष से भर दिया। सादर आभार
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:30pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सर जी!सादर नमन
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:29pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय सर जी!सादर
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:28pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय गोपाल नारायण सर जी!सादर नमन
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 3:44pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेंद्र सर जी!सादर
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 3:43pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय आरिफ़ सर जी!सादर
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 3:40pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय मोहित जी!सादर
Comment by Nita Kasar on November 9, 2017 at 1:15pm
बड़ी ही धीर गंभीर बात कही है।बुज़ुर्गों की दूरदर्शी नज़रें सब जानती है ।बधाई आद० राहिला जी ।

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