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कोई रिश्ता निभाया जा रहा है

मापनी -१२२२ १२२२ १२२

कोई रिश्ता निभाया जा रहा है

मुझे फिर से बुलाया जा रहा है

 

भले ही खिड़कियाँ हैं बंद घर की,

मगर परदा उठाया जा रहा है

 

पड़ीं हैं नींव में चुपचाप ईंटे,

भले बोझा बढाया जा रहा है

 

अभी कुछ शांत हैं लहरें वहाँ पर,

उन्हें पत्थर दिखाया जा रहा है

 

नहीं है पास उनके एक छत भी,

महल का गीत गाया जा रहा है

 

बिठाना था जिन्हें पलकों पे’ हर पल,

उन्हें घर से भगाया जा रहा है

 

जरा सा हाथ सूरज का हटा क्या,

कि मुझसे दूर साया जा रहा है

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 12, 2017 at 12:08pm

 आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी अवश्य इस मंच पर आप सभी गुनीजनों के सानिध्य में रह कर अवश्य बेहतर कर पाऊंगा , हौसला अफजाई के लिए ह्रदय से आभार आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 12, 2017 at 12:07pm

आदरणीय Anuraag Vashishth जी आपकी प्रतिक्रिया से प्रोत्साहित हूँ, बहुत बहुत शुक्रिया आपका 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 12, 2017 at 10:42am

आ. बसन्त जी,

अच्छीअजल हुई है... और भी बेहतर हो सकती थी...
मंच आप से और भी   बेहतर की अपेक्षा करता है ..
सादर 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 10, 2017 at 8:55pm

आभार आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी आपका 

Comment by narendrasinh chauhan on May 10, 2017 at 6:03pm

बहोत खूब 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 10, 2017 at 1:04pm

 आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपकी हौसलाअफजाई  के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 9, 2017 at 9:45pm

आदरणीय Samar Kabeer जी हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 9, 2017 at 9:44pm

आदरणीय शिज्जु "शकूर"  जी हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 9, 2017 at 9:43pm

आदरणीय Sushil Sarna जी हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 9, 2017 at 9:28pm

आदरनीय बसंत भाई , अच्छी गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ । गज़ल के अरकान सुधार लीजियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

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