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ग़ज़ल- सितारे रक़्स करते हैं

1222 1222 1222 1222

उन्हें देखें जो बेपर्दा सितारे रक़्स करते हैं।
नज़र जो उनकी पड़ जाए नज़ारे रक़्स करते हैं।।

तेरे पहलू में होने से शबे दैजूर भी रौशन।
बरसती चाँद से खुशियाँ सितारे रक़्स करते हैं।।

तुम्हे है इल्म मेरी जिंदगी कुछ भी नही तुम बिन।
इन्हीं वजहों से तो नख़रे तुम्हारे रक़्स करते हैं।।

कभी तो तुम ही आओगे शबे हिज़्रां मिटाने को ।
इसी उम्मीद से अरमां हमारे रक़्स करते हैं।।

जड़ों की कद्र तो केवल समझते हैं वही पत्ते।
शज़र की टहनियों के जो सहारे रक़्स करते हैं।।

उसी की जीत है यारों लड़े खामोश रहकर जो।
सफीने डूब जाते हैं किनारे रक़्स करते हैं।।*

करूं मैं शुक्रिया कैसे तेरे अहसान हैं कितने।
पवन के शेर भी तेरे सहारे रक़्स करते हैं।।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

* जनाब आफ़ताब अकबराबादी की ग़ज़ल का मिसरा

रक़्स= नृत्य, नाच
शबे दैजूर= अमावस की रात
इल्म= जानकारी
शबे हिज़्रां= विरह की रात
शज़र= पेड़
सफ़ीने= जहाज, जलपोत

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Comment

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Comment by डॉ पवन मिश्र on September 25, 2016 at 7:37am

आद. शिज्जु जी,,, इस उत्साहवर्धन के लिये हृदय से आभार

Comment by डॉ पवन मिश्र on September 25, 2016 at 7:36am

आद. रामबली जी,,,, ग़ज़ल को मान देने के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by डॉ पवन मिश्र on September 25, 2016 at 7:35am

आद. गिरिराज जी। इस् हौसला अफजाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया

Comment by डॉ पवन मिश्र on September 25, 2016 at 7:34am

आद. डॉ प्राची जी, ग़ज़ल और शेर को मान देने के लिए हृदयतल से आभार

Comment by डॉ पवन मिश्र on September 25, 2016 at 7:31am

आद. सुरेश कुमार कल्याण जी तहे दिल से शुक्रिया

Comment by डॉ पवन मिश्र on September 25, 2016 at 7:31am

आद. रवि जी इस् उत्साहवर्धन के लिये हृदय से आभार

Comment by रामबली गुप्ता on September 22, 2016 at 4:41am
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है आद0 पवन जी। बल भर बधाई लीजिये।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 21, 2016 at 6:56pm

आदरणीय पवन भाई , मुश्किल रदीफ पर बहुत खूबसूरत शेर निकाले आपने , दिल से बधाइयाँ आपको ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 21, 2016 at 5:07pm

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल..

सभी अशआर मुलायमियत से दिल तक पहुँच रहें हैं....

तुम्हे है इल्म मेरी जिंदगी कुछ भी नही तुम बिन।
इन्हीं वजहों से तो नख़रे तुम्हारे रक़्स करते हैं।।... ये शेर बतौरेखास पसंद आया 

बहुत बहुत मुबाराकबात इस सुन्दर पेशकश पर आ० पवन जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2016 at 2:48pm

आ. पवन मिश्रा जी अच्छी ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारक़बाद कुबूल करें

कृपया ध्यान दे...

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"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
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