For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दंड(लघुकथा)राहिला

"सूरज देवता! दया करो प्राणी जगत पर।आपके क्रोध की अग्नि में सब कुछ झुलस गया । "
पवन रानी हाथ जोड़ कर बोलीं ।
"देवी! आपको भ्रम हुआ है । मैं कतई क्रोधित नहीं हूं । मैं तो सदियों से जैसा था वैसा ही हूं।"
"प्रभु! फिर धरती पर इतनी तपन क्यों? अब तो मेरा भी दम घुटने लगा है । मनुष्य और जीवों में त्राहि-त्राहि मची है । "
"इसका कारण कोई और नहीं,स्वंय मनुष्य है। प्रकृति के साथ निरंतर छेड़छाड़ और स्वार्थ की हद तक धरती के साथ दुर्व्यवहार का नतीजा है ये।"
"परन्तु कोई तो समाधान होगा ।"
"देवी!इस समस्या का समाधान सिर्फ राजा इन्द्र ही कर सकते है।"
सूरज देवता की बात मान, पवन रानी! भगवान इंद्र की सभा में जा पहुँची। "देखो देवी!आपकी चिंता अपने स्थान पर उचित है,परन्तु मनुष्यों को उनकी धृष्टा का दंड देना भी जरूरी है।"
लेकिन प्रभु!पहले ही मानव जाति के कारण धरती अपना सौंदर्य खो चुकी है।उसपर अब आपकी कृपा भी ना हुयी तो,जीवनदायनी धरती को आग का गोला बनते क्या देर लगेगी। धरती पर दया करो प्रभु!"
"बात धरती की है,वो तो ठीक है परंतु...."कुछ विचार करते हुए उन्होंने पवन रानी की विनती स्वीकार कर ली।
और अगले ही पल जबर्दस्त बड़े, बड़े ओलों की बरसात के साथ खूब जान माल की हानि हुयी।लेकिन बेसुध धरती अमृत पा कर जी उठी।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 796

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on June 23, 2016 at 3:25pm
आदरणीय प्रतिभा दीदी !बहुत आभार इतनी सुन्दर टिप्पणी के लिये।और जहाँ पवन के स्त्री लिंग होने की बात है तो मै भी यहाँ रुक गयी थी।लेकिन फिर," पवन चलती है"इस आधार पर उसे स्त्री लिंग कर दिया।सादर
Comment by Rahila on June 23, 2016 at 3:21pm
बहुत, बहुत शुक्रिया आदरणीय पाण्डेजी! आपने रचना के लिए समय तो निकाला।सादर आभार
Comment by Rahila on June 23, 2016 at 3:18pm
रचना की सराहना के लिए बहुत आभार आदरणीय दुबे सर जी!सादर
Comment by pratibha pande on June 23, 2016 at 10:53am

इंद्र का क्रोध  और धरती को मिली तपन से मुक्ति और मानव को अपने किये का दंड भी , पर बाज थोड़ी आता है मानव .. वैसे पवन को स्त्री लिंग में संबोधन कम ही सुना है ... इस  नए तेवर की कथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें प्रिय राहिला जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 23, 2016 at 1:29am

ग्रीष्म की असह्य तपन में ओलों की मार से ठंडक का अहसास ! वाह !

शुभकामनाएँ आदरणीया राहिलाजी. 

Comment by Rahila on June 22, 2016 at 11:14pm
आदरणीय उस्मानी जी!बहुत आभार रचना की तारीफ़ करने के लिए ।आपकी टिप्पणी का सदैव इंतेजार रहता है।सादर
Comment by Rahila on June 22, 2016 at 11:11pm
बहुत, बहुत आभारआदरणीय तेजवीर सर जी!आपकी रचना पर उपस्थिति सदैव हौसला बढ़ाती है।सादर नमन
Comment by Rahila on June 22, 2016 at 11:09pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय वर्मा सर जी!सादर
Comment by Rajendra kumar dubey on June 22, 2016 at 8:54am
जो जीवन देता है उसे ही दंड देने का हक भी है।एक अच्छी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on June 21, 2016 at 3:59pm
मानव को दण्ड भी और धरती व प्रकृति को जल प्रदाय भी। बेहतरीन अनुपम प्रेरक रचना के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीया राहिला जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
11 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
19 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service