For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीतिका (आनंदवर्धक छंद)

2122 2122 212
दो कदम आगे बढ़ा कर देखिये
अब जरा नजदीक आकर देखिये।1

जो सुलगती है रही तबसे यहाँ
आग वह फिर से जला कर देखिये।2

सोलहों आने खरा अपना कनक
जो लगे अब भी तपा कर देखिये।3

खनखनाता मैं रहा कितना कहूँ
अब नहीं फिर से बजा कर देखिये।4

देख लेंगे लोग बस डरते रहे
जी करे नजरें बचा कर देखिये।5

चल चुके अबतक बहुत जाने-जिगर
पग कभी मुझसे मिला कर देखिये।6

हो रहे हैं बेखबर फिर बेवजह
फासले कुछ तो मिटाकर देखिये।7

होंठ के माफिक रचा मैंने अभी
गीत मेरा गुनगुना कर देखिये।8

मुस्कुराते कह उठेंगे नामवर
राग कोई फिर उठाकर देखिये।

बंदिशों की रात का सिमटा सफर
भोर है घूँघट उठा कर देखिये।10

आँसुओं में धुल रही अपनी कथा
आइये फिर से लिखाकर देखिये।11

मुश्किलों में फूल खिलते जो कभी
कुछ पहर घर में सजा कर देखिये।12

मैं सदा चलता रहा करता 'मनन'
हो सके दिल में बिठाकर देखिये।13
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 1161

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on June 30, 2016 at 10:37pm
आभार भाई।
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on June 30, 2016 at 4:32pm

इस  सार्थक लयबद्ध गीतिका छंद  के  लिए् बधाई

Comment by Manan Kumar singh on June 15, 2016 at 11:23pm
आदरणीया कांता जी आभार आपका।
Comment by kanta roy on June 15, 2016 at 9:05pm

आनंदवर्धक छंद पहली  बार  पढने  में  आया   है . जो  भी  है  पढ़कर  वास्तव  में मन  आनंद छाया है . बधाई आपको  आदरणीय  मनन  कुमार  जी  इस  सार्थक लयबद्ध गीतिका छंद  के  लिए 

Comment by Manan Kumar singh on June 15, 2016 at 7:36pm
आभार आ. श्याम नारायण जी।
Comment by Manan Kumar singh on June 15, 2016 at 7:34pm
आभार आ. गिरिराज भाई।
Comment by Manan Kumar singh on June 15, 2016 at 7:34pm
आभार आ. गिरिराज भाई।
Comment by Shyam Narain Verma on June 15, 2016 at 5:41pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2016 at 5:22pm

आदरनीय मनन भाई , अच्छी गज़ल कही है , बधाइयाँ स्वीकार करें । मिसरों मे मात्रा मिलाने के लिये शब्दों का जितना कम उलट फेर होगा , मिसरा उतना अच्छा लगेगा । बात सीधी कहने का प्रयत्न होना चाहिये । एक सामान्य सलाह समझियेगा ।

Comment by Manan Kumar singh on June 14, 2016 at 8:18pm
हौसला आफजाई के लिए आपका आभारी हूँ आदरणीय उस्मानी जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service