For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तू ही रे.....तू ही रे.....

मेरे दिल मे है समाया,

तू ही रे....

तुझे दिल मे है बसाया,

तू ही रे....

1}एक तू ही तो दुआ थी,एक तू ही थी मंज़िल,
तुझसे शुरू मेरी राहें, मेरा हर पल तुझमे शामिल,
इतना बेसूध हुआ मैं, पाने को प्यार तेरा,
तेरी रज़ा तेरी कुरबत,बस इंतेज़ार है तेरा.
तू ही रे.....तू ही रे.....

.

जादू था तेरी नज़र मे, हुआ पागल मैं दीवाना,
तेरी मदहोश सी अदा ने, किया दिल को आशिकाना,
बंदिशों की है ना परवाह, ना ज़ोर है कोई दिल मे,
तू नही तो कुछ भी नही है,तन्हा हू भारी महफ़िल मे.
तू ही रे.....तू ही रे.....

जब खुश्बू तेरी आए, रहे ना होश मुझको,
जब यादें तेरी सताए, ये क्या हुआ है मुझको,
आ पास मेरे तू आजा, क्यू जुदा है तू मुझसे,
बाहों मे मेरी समाजा,क्यू खफा है तू मुझसे.
तू ही रे.....तू ही रे.....

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 556

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by M Vijish kumar on June 15, 2016 at 1:44pm
आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी
मेरी हिन्दी थोड़ी कमज़ोर है, पर ज़रूर जानकारी लिया करूँगा

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 13, 2016 at 4:57pm

बहुत सुन्दर ! वाह ! इस भाव, भावना और उत्फुल्लता को शाब्दिक करती प्रस्तुति केलिए हार्दिक धन्यवाद. 

भाई विकास जी, इसी संदर्भ में आपसे निवेदन है कि गीत के विभिन्न पक्षों पर जानकारियाँ लेनी शुरु कीजिए. देखिये, एक गीत कब महज़ गाना भर रह जाता है. तथा, गाना और गीत में बहुत अंतर है.

आप एक समृद्ध मंच पर हैं जहाँ से आपको इशारे मिल सकते हैं. 

शुभेच्चाएँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service