For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( आँखों से निकलते हैं )

ग़ज़ल ( आँखों से निकलते हैं )  

   १२२२ -१२२२ -१२२२ -१२२२

तड़प कर जो गमे जाने जहाँ दिल में पिघलते हैं ।

वही तो अश्क बन कर मेरी आँखों से निकलते हैं ।

क़यादत पर मेरी यह सोच के उंगली उठाना तुम

मेरे पीछे ही अपनों की तरह अग्यार चलते हैं ।

अगर देना नहीं था साथ तो पहले बता देते

अचानक कबले मंज़िल किस लिए रस्ता बदलते हैं ।

मुहब्बत करने वालों को है कब परवाह दुनिया की

जहाँ भी शमआ  जलती है वहां परवाने जलते हैं ।

जो खारों की हिमायत करने को  आये हैं गुलशन में

सुना है अपने पैरों से वो फूलों को मसलते हैं ।

 

ज़माना जानता है यह मुहम जारी है  मुद्दत से                                    

लगायी जाती है ठोकर हमें जब भी संभलते हैं ।

 

गुमा होता है वह तस्दीक बदजन हो गए मुझ से

न यूँ ही बज़्म में अरबाब खुश हो कर उछलते हैं ।

(मौलिक व अप्रकाशित )                                                

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 5, 2016 at 2:19pm

 मोहतरमा राहिला  साहिबा  , हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से  बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 5, 2016 at 2:18pm

 जनाब पवन कुमार  साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से  बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 5, 2016 at 2:17pm

मोहतरम जनाब सुशील सरना साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Rahila on June 4, 2016 at 11:09pm
अगर देना नहीं था साथ तो पहले बता देते
अचानक कबले मंज़िल किस लिए रस्ता बदलते..बहुत खूब लिखा है आदरणीय सर जी! खूब बधाई । सादर
Comment by Pawan Kumar on June 4, 2016 at 3:35pm

ज़माना जानता है यह मुहम जारी है  मुद्दत से                                    

लगायी जाती है ठोकर हमें जब भी संभलते हैं ।

बहुत खुब, एक एक पंक्ति लाजवाब है!
हार्दिक बधाई

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2016 at 1:18pm

मुहब्बत करने वालों को है कब परवाह दुनिया की
जहाँ भी शमआ जलती है वहां परवाने जलते हैं ।

वाह बहुत खूब आदरणीय तस्दीक साहिब ... बड़े ही दिलकश अशआर लिखे हैं आपने। इस मनमोहक ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service