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रिजर्वेशन (लघु कथा )

रिजर्वेशन (लघु कथा )

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हामिद का थर्ड ए सी का टिकट कन्फर्म हो चूका था , ट्रैन के आते ही वह पत्नी के साथ जयपुर के लिए रवाना हो गया | उसकी सीट के सामने 9 और 12 नंबर की बर्थ  थीं जिन पर लेटे यात्री आगे से आरहे थे | अगले स्टेशन पर दो महिलाएं कोच में चढ़ गयीं ,आते ही कहने लगीं कि बर्थ 9 और 12  हमारी हैं दो महीने पहले से रिजर्वेशन करवा रखा है | इतना सुनते ही दोनों यात्री सकते में आगये। ......... बहस शुरू हो गयी ,  दोनों यात्रियों ने मोबाइल पर कन्फर्म  मेल दिखाया तो महिलाओं ने कन्फर्म टिकट दिखा दी,  देखने में तो दोनों ही सही लग रहे थे , ....... मगर कोई गल्ती तो ज़रूर हुई है | टी टी साहब ने आकर दोनों तरफ की बात सुनी और महिलाओं का टिकट लेकर यह कह कर चले गए कि कन्फर्म करके आता हूँ। ....... थोड़ी देर के बाद टी टी ने आकर बताया कि यह टिकट कैंसिल हो चुका  है, आपका रिजर्वेशन स्लीपर कोच में बर्थ 9 और 12 पर है ,आगे स्टेशन पर उस कोच में चली जाना वरना ए सी कोच में सफर करने का जुर्माना भरना पड़ेगा| दोनों महिलाएं अगली स्टेशन पर दो घंटे ए सी में आराम से सफर करने के बाद बिना किसी शर्म और एहसास के मुस्कराते हुए उतर गईं और कोच के यात्री उन दोनों शातिर महिलाओं को  हैरत से देखते रहे.---------------------

(मौलिक व अप्रकाशित )   

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 24, 2016 at 1:44pm

जनाब शुभ्रांशु पांडेय  साहिब ,  यह बिलकुल सत्य घटना है जो मेरी आँखों के सामने हुई , लघु कथा पसंद  करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Shubhranshu Pandey on April 23, 2016 at 8:57pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खाँ साहब, सुन्दर संस्मरण लिखा है आपने.औरतों के कुछ घण्टों की मुफ़्त यात्रा का मजा उन भले यात्रियों पर कैसा हुआ होगा ये सोच कर मजा आ गया. अभी तक एक सीट पर दो रिजर्वेशन की समस्या केवल यात्रा दिन की गड़बडी़ में दिखा करता था.

सादर.

 

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