For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नस्री नज़्म :- "तीसरा विश्व युद्ध"

आत्म ग्लानी से
मेरी गर्दन झुक जाती है
जब मैं यह देखता हूँ
कि इंसान ,तरक़्क़ी करते करते
इन हदों पर पहुँच चुका है
कि उसने,
पिशाच का रूप ले लिया है,
आज हम तीसरे विश्व युद्ध के
दहाने पर खड़े हैं,
इसी पिशाचता के कारण,
ताक़त की भूक
बहुत बढ़ गई है,
अब सिर्फ़,एक चिंगारी की आवश्यकता है,
और युद्ध शुरू,
परिणाम ?
तबाही ,बर्बादी
नरसंहार ,ख़ून के दरिया
लाशों के अंबार
भूक,लाचारी,
इंसानी जान की कोई क़ीमत नहीं,
सब मूकदर्शक बने हुवे हैं
और ये सब होकर रहेगा,
कौन इसे रोक पायेगा ?
आत्म ग्लानी से
मेरी गर्दन झुकी हुई है ।

समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 845

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on December 9, 2015 at 11:40pm
जनाब सुशील सरना जी,आदाब,रचना की सराहना हेतु आपका तहे दिल से आभारी हूँ ।
Comment by Samar kabeer on December 7, 2015 at 5:30pm
जनाब शहज़ाद भाई अतुकांत कविता को उर्दू में नासरी बज़्म कहते हैं|
Comment by Samar kabeer on December 6, 2015 at 10:57pm
जनाब सौरभ पांडे जी,आदाब,उस दार्शनिक का नाम याद नहीं आ रहा है,दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब किसी ने उस से पूछा था कि "तीसरा विश्व युद्ध कब होगा ?" उस दार्शनिक ने जवाब दिया था कि,मैं यह नहीं जानता कि तीसरा विश्व युद्ध कब होगा लेकिन यह बात पूरे विश्वास के साथ कहता हूँ कि चौथा नहीं होगा ।
उस दार्शनिक की कही हुई बात इन दिनों दिमाग़ में गश्त कर रही है,यही सोच सोच कर दिल परेशान हो गया और इस रचना का जन्म हुवा ,रचना पर आपकी प्रतिक्रिया पाकर मैं धन्य हुवा,आपने रचना को अपना क़ीमती समय दिया इसके लिये आपका आभारी हूँ,बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Samar kabeer on December 6, 2015 at 10:02pm
जनाब मोहन बेगोवाल जी,आदाब ,सराहना हेतु आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ,ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा ।
Comment by Samar kabeer on December 6, 2015 at 10:01pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी,आदाब,सराहना हेतु आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ,ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा ।
Comment by Samar kabeer on December 6, 2015 at 10:00pm
मोहतरमा ज्योत्स्ना कपिल जी,आदाब,सराहना हेतु आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ,ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा ।
Comment by Samar kabeer on December 6, 2015 at 9:57pm
जनाब सुशील सरना जी,आदाब,सराहना हेतु आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ,ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा ।
Comment by Samar kabeer on December 6, 2015 at 9:56pm
मोहतरमा कांता रॉय जी,आदाब,सराहना हेतु आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ,ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा ।
Comment by मोहन बेगोवाल on December 4, 2015 at 8:17pm

  आदरणीय.समर जी,  बहुत ही दिल को छु जाने वाली नज्म, जो हमें सोचने के लिए मजबूर करती है, इस असम्वेदनशील समाज के बारे 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 4, 2015 at 12:51am

जब आचरण में धर्म के नाम पर ढोंग व्यापने लगे और बातें सटीक और सार्थक होने की जगह अनावश्यक पेंचदार होने लगे तो मानवता की बात नहीं होती. फिर भी इसे समझाया नहीं जा सकता. कारण कि, श्रेष्ठता की आश्वस्ति नहीं, उसका अहंकार सर चढ़ कर बोलता है. सर्वोपरि, समझाने वाले शातिर दिखते हैं.

यही सारा कुछ इंगितों में वर्णित हुआ है, आदरणीय समर कबीर साहब, जिसकी चर्चा यह कविता कर रही है. 

आपकी संवेदना ने गंभीर तथ्य को साझा किया है, आदरणीय. हार्दिक शुभकामनाएँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
12 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
19 hours ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
19 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
19 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
20 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service