For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - अदीबों की ज़ुबाँ में कुछ , इरादे और ही कुछ हैं - गिरिराज भंडारी

1222     1222      1222     1222

कहो कुछ तो समझ के भी जताते और ही कुछ हैं

अदीबों की ज़ुबाँ में कुछ , इरादे और ही कुछ हैं  

 

रवादारी हो , रस्में या कोई हो मज़हबी बातें

अलग ऐलान करते हैं, सिखाते और ही कुछ हैं

 

उन्हें मालूम है सच झूठ का अंतर मगर फिर भी  

दबा कर हर ख़बर सच्ची , दिखाते और ही कुछ हैं  

 

जो क़समें दोस्ती की रोज़ खाते हैं, बिना पानी

जरा सी आड़ मिल जाये , निभाते और ही कुछ हैं

 

गिज़ा जिस मुल्क से पा के, मिली हाथों को मज़बूती

उन्हीं हाथों से परचम वो , हिलाते और ही कुछ हैं

 

वो सारे बे अदब निकले, अदीबों में जो थे शामिल

सभी उन पारसाओं के , निशाने और ही कुछ हैं  

 

बबूलों के जने हैं जो , महज़ कांटे बिखेरेंगे

दिखा कर फूल के पौधे , उगाते और ही कुछ हैं

*******************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 662

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2015 at 8:06am

आदरणीय बड़े भाई विजत निकोरे जी , आपका आशीष मिला तो उत्साह दो गुना हो गया , आपका हृदय से आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2015 at 8:05am

आदरणीय राम अवध भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2015 at 8:04am

आदरणीय श्याम नाराइन भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2015 at 8:03am

आदरणीय आमोद भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2015 at 8:03am

आदरणीय मिथिलेश भाई , ग़ज़ल पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया ने खूब हौसला अफज़ाई की , आपका तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2015 at 8:01am

आदरणीय सुशील सरना भाई , आपकी स्नेहिल प्रशंसा के लिये आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2015 at 8:01am

आदरणीय अजय कुमार भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2015 at 8:00am

आदरणीय मनन भाई , हौसला अफज़ाई का शुक्रिया ।

Comment by vijay nikore on November 12, 2015 at 3:39pm

गज़ल विधा पर आपकी पकड़ बहुत अच्छी है.... एक और अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on November 9, 2015 at 8:37pm
लाजबाब बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service