For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"माहौल" एक सच्चाई

ऑफिस से आकर सबसे पहले टीवी ऑन किया तो गलती से दूरदर्शन लग गयाI  इसे देख कर लगा की  देश अपनी रफ़्तार से प्रगति कर रहा हैI चारों और शांति हैI सब अपना अपना काम कर रहे हैI हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब एकता की मिसाल दे रहे हैI और भारत दुनिया के अग्रसर देशो में शुमार होने जा रहा हैI लेकिन जैसे ही निजी न्यूज़ चेंनलो की और बढ़ा तो लगा,  देश में साम्प्रदायक माहौल बिगड़ गया हैI चारो और हत्याए हो रही हैI हर जगह दंगे भड़क गए हैI  चारो और धारा144 लगी हुई हैI सवर्ण दलितों को मार रहे हैI जगह जगह बलात्कार हो रहे हैI लोग भूखे मर रहे हैI महंगाई चरम सीमा पर हैI किसान आत्महत्याएं कर रहे हैI नेताओ के मुँह से अपशब्दों की बहार चल रही हैI लोग एक दूसरे को गालियाँ दे रहे हैI ये देख लगा एक दो दिन में एमरजेंसी लगने वाली हैI ऐसी हालत देखकर रहा नहीं गया और ताजा हालत जानने घर से निकला तो देखा चारो और सामान्य हालात है, सब कुछ शांति से चल रहा हैI मन में सोचा सब ठीक चल रहा है, तो फिर ये माहौल बिगाड़ने का काम कौन कर रहा हैI फिर अचानक ध्यान आया सूटकेस में भर कर आने वाले नोटों के साथ "नोट" की और जिस के मुताबिक देश का माहौल तैयार होता हैI "मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 588

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harikishan ojha on November 10, 2015 at 5:56pm

आदरणीय राहिला  जी आप का बहुत बहुत,  धन्यवाद

Comment by harikishan ojha on November 10, 2015 at 5:54pm
आदरणीय सविता मिश्रा जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद
Comment by Rahila on November 4, 2015 at 11:21am
बहुत बेहतरीन रचना आदरणीय हरिकृष्ण जी! आपकी रचना पढ़ कर लगा कही पढ़ चुकी हूं तब इससे मिलती जुलती वाट्स एप पर पढ़ने को मिली । बहुत बधाई आपको ।
Comment by savitamishra on November 2, 2015 at 11:50pm

बहुत bdhiya कटाक्ष ....बहुत खूब

Comment by harikishan ojha on November 2, 2015 at 7:41pm

आदरणीय उस्मानी जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद हौसला अफजाई के लिए

Comment by harikishan ojha on November 2, 2015 at 7:39pm

आदरणीय कल्पना भट्ट जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 2, 2015 at 6:44pm
हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय हरिकिशन ओझा जी इस अनुपम सार्थक तीखे कटाक्ष के सृजन के लिए। हर कोई यह सब महसूस करता है, समझता है, कहना चाहता है, समस्या का समाधान चाहता है, लेकिन हर कोई चुप्पी साधे हुए है। आपकी लेखनी ने सबकी आवाज़ को उत्कृष्ट शब्द दिए। बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आपकी टिप्पणी एवं मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार। सुधार का प्रयास करुंगा।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। आ. भाई तिलकराज जी के सुझाव से यह और निखर गयी है।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service