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हमें एक बार

हमें एक बार फिर से मुस्कुराना चाहिए----
1222-1222-1222-12

हमें एक बार फिर से मुस्कुराना चाहिए
उसी टूटे ह्रदय से गीत गाना चाहिए

लगी ठोकर मुहब्बत की गिरे जो राह में
हमें तो दिल से दिल को फिर मिलाना चाहिए

जमीं से चाँद तारों तक सजाया प्यार है
सजा में मौत भी हो तो निभाना चाहिए

सफर अपना भले ही साहिले गर्दिश में हो
दिया हो पास में तो फिर जलाना चाहिए

यूँ हिम्मत हार कर ना बैठ मेरे हम सफर
बहरों को हमें फिर से बुलाना चाहिए
मौलिक/ अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2015 at 6:29am

आदरणीय आमोद भाई , अच्छी गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥
मतले के उला मे - एक को इक कर लीजियेगा

यूँ हिम्मत हार कर ना बैठ मेरे हम सफर   --  को--- हिम्मत हार कर यूँ बैठ मेरे हम सफर  ,  ऐसा   करना सही रहेगा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 28, 2015 at 1:55pm

बढ़िया  ग़ज़ल हुई है आदरणीय आमोद जी इस प्रस्तुति पर आपको बहुत- बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 27, 2015 at 9:16pm

सुन्दर ग़ज़ल हुई आमोद जी बहुत- बहुत बधाई लीजिये. 

Comment by amod shrivastav (bindouri) on October 27, 2015 at 8:55am
रहिला जी आप ने हमारी गजल को समय दिया बहुत आभार आगे भी आप के प्यार और स्नेह का अकांशी रहूँगा सादर नमन
Comment by amod shrivastav (bindouri) on October 27, 2015 at 8:52am
आ कान्ता दीदी आप की पहली उत्साह वर्धक टिपण्णी प् बहुत खुसी हुई आप को सादर नमन
Comment by kanta roy on October 26, 2015 at 5:36pm

सफर अपना भले ही साहिले गर्दिश में हो
दिया हो पास में तो फिर जलाना चाहिए----बहुत ही प्रेरक शेर कही है आपने। बधाई हो आदरणीय आमोद जी।

Comment by Rahila on October 26, 2015 at 4:01pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आद. अमोद जी । बहुत बधाई आपको ।
Comment by amod shrivastav (bindouri) on October 26, 2015 at 11:20am
टंकण त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ । अन्य विषय में त्रुटि हो तो जरूर मार्ग दर्शन दे
मंच में सभी को सादर नमन

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