For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद के माथे पे शायद ...........

चाँद के माथे पे शायद .......

चाँद के माथे पे शायद
दुनिया के लिए सिर्फ दाग है
पर दाग वाला चाँद ही
आसमां का ताज़ है
करता वो अपनी चांदनी से
मुहब्बतों की बरसात है
है नहीं वो दिल ज़मीं पे
जिसमें वो बसता नहीं
हों खुली या बंद पलकें
ये हर पलक का ख़्वाब है
अब्र से सावन में छुपकर
वो झांकता है इस तरह
हो रही ज़ुल्फ़ों से जैसे
नूर की बरसात है
हर खुशी के लम्हों में
होते हैं पल कुछ ऐसे भी
बीती शब के दर्द के
जिसमें नमी के दाग हैं
है दर्द का वो दाग शायद
जो चाँद के माथे पे है
सच मुहब्बत में मिला
ये कितना हसीं अहसास है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 481

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 4, 2015 at 6:51pm

आदरणीया   kanta roy  जी रचना पर आपकी भावभीनी प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by kanta roy on September 3, 2015 at 10:51pm

बीती शब के दर्द के 
जिसमें नमी के दाग हैं 
है दर्द का वो दाग शायद 
जो चाँद के माथे पे है ......वाह !!!! मोहब्बत कहाँ किसी दाग की फिक्र करती है । वो हर हाल में आसमान का ताज ही होती है । वक्त के बदलने से जो रिश्ते बदला करते वो क्या खाक रिश्ते हुआ करते है । ये बहुत बडी़ बात कही है आपने आदरणीय सुशील सरना जी । बधाई आपको इस सुंदर कविता के लिए ।

Comment by Sushil Sarna on September 3, 2015 at 7:47pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on September 3, 2015 at 7:47pm

आदरणीया   pratibha pande  जी रचना पर आपकी भावभीनी प्रशंसा का हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 3, 2015 at 5:35pm

आदरणीय सुशील सरना सर, इस सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिये  हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर 

Comment by pratibha pande on September 3, 2015 at 3:08pm

हर ख़ुशी के लम्हों  में / होते हैं पल  कुछ ऐसे भी/बीती शब् के दर्द के / जिसमे नमीं के दाग हैं , बहुत भावपूर्ण रचना ,बधाई आपको आदरणीय सुशील सरना जी

Comment by Sushil Sarna on September 2, 2015 at 12:28pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी प्रस्तुति पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2015 at 11:39am

आदरणीय सुशील भाई , भाव पूर्ण प्रस्तुति के लिये आपको  हार्दिक बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
46 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
8 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
15 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
yesterday
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service