For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

समर्पण
“वाह री मर कर भी तर गईं तिवारिन तो” मिथिला काकी ने मंदिर की सीढ़ियों पर बैठी अपनी सखियों के समूह में सुरसुरी छोड़ी..
“वो कैसे बहन जी ?” उन्ही की समवयस्क जानकी ताई ने उत्सुकुता से पूछा.
“अरे कितनी सेवा की थी बहुरिया उनकी और अब उनके सिधारने के बाद अपनी नौकरी छोड़ ससुर की सेवा में लग गई.” मिथिला काकी ने खुलासा किया.
मुहल्ले भर की बुढियों को ईर्ष्या हो उठी स्वर्ग-सिधारी तिवारिन से, कितनी समर्पित बहू मिली है.
घर आते हुए महिला मंडल की बात चीत-सुन रधिया से रहा ना गया. सीधे तिवारी जी की बहू के पास पहुंची और बोली “क्या भाभी कौन सा टोना किए हो पूरे मुहल्ले की औरतों पर?सब तुम्हारे ही गीत गा रहीं हैं सुना है नौकरी भी छोड़ दिए हो? इनकी सेवा करे खातिर ”
“क्या धरा था स्कूल की मास्टरी में दिन भर खटो और महीने के पांच हज़ार.. बाबू जी को सोलह हज़ार तो पेंशन मिलती है और जब तक जीवित हैं बिजली भी मुफ्त...”
मौलिक एवं अप्रकाशित

.

Views: 770

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harikishan ojha on September 11, 2015 at 12:31pm

बहुत सुन्दर

Comment by Seema Singh on August 29, 2015 at 5:21pm

आभार कांता जी आपकी टिप्पणी बहुत उद्बोधित करती है..

Comment by kanta roy on August 28, 2015 at 10:35pm

बहुत खूब लिखा है आपने आदरणीया सीमा जी ,.....इस सार्थक लघुकथा के लिये बधाई स्वीकार करे । 

Comment by Seema Singh on August 28, 2015 at 9:20am
आभार आ० मिथिलेश जी, आ० महर्षी जी एवं आ० हर्ष जी आप सभी को ह्रदय से धन्यवाद।
Comment by Seema Singh on August 28, 2015 at 9:16am
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय रवि जी। आपकी टिप्पणी मनोबल बहुत बढ़ा देती है। आभार ।
Comment by Ravi Prabhakar on August 28, 2015 at 8:44am

आदरणीय सीमा जी, बहुत सधा व तरारा तंज कसा है आपने अपनी लघुकथा के माध्‍यम से । आजकल तो सेवा भावना भी अर्थप्रधान बन कर रह गई है। इस कसी हुई लघुकथा के लिए आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं । कथा शीर्षक से लेकर अंतिम पंक्‍ित तक कसी हुई बनी है और इसकी पंच लाइन तकरीबन तकरीबन नाकआउट पंच में सफलतापूर्वक परिवर्तित हुई है। सादर शुभकामनाएं


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 28, 2015 at 1:43am

आदरणीया सीमा जी बहुत ही बेहतरीन लघुकथा हुई है. शीर्षक को सार्थक करती इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by maharshi tripathi on August 27, 2015 at 8:39pm

काश ऐसी समर्पित भावना आजकल की सभी बहुओं के हृदय में हो तो परिवार ,में सुख शन्ति बनी रहेगी ,,इस सुन्दर संदेसात्मक कथा पर आपको बधाई आ. Seema singh जी |

Comment by Harash Mahajan on August 27, 2015 at 2:08pm

आदरणीय Seema singh जी समाज की छुपी हुई ईर्ष्या सहज भाव से इस लेख के द्वारा बहुत ही उम्दा तरीके से उजागर कर गए आप...यही आम जीवन की कहानी है.....बहुत ही सुंदर पेशकश | बधाई | सादर !!

Comment by Seema Singh on August 27, 2015 at 12:32pm
आभार आदरणीया अर्चना जी एवं आभार आदरणीय तेज वीर जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
15 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
31 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
56 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी  वाह !! सुंदर सरल सुझाव "
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने समय दिया आपने जिन त्रुटियों को…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी सादर. प्रदत्त चित्र पर आपने सरसी छंद रचने का सुन्दर प्रयास किया है. कुछ…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार घुसपैठ की ज्वलंत समस्या पर आपने अपने…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
""जोड़-तोड़कर बनवा लेते, सारे परिचय-पत्र".......इस तरह कर लें तो बेहतर होगा आदरणीय अखिलेश…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"    सरसी छंद * हाथों वोटर कार्ड लिए हैं, लम्बी लगा कतार। खड़े हुए  मतदाता सारे, चुनने…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी हार्दिक आभार धन्यवाद , उचित सुझाव एवं सरसी छंद की प्रशंसा के लिए। १.... व्याकरण…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service