हर लम्हें में निहाँ हैं अक्स जिंदगी का।
ढूंढते रह जाओगे नक्श जिंदगी का ।।
रुठों को मनाने में लग जाते हैं जमाने।
ता-उम्र चलता रहता हैं रक्स जिंदगी का।।
रंजो-गम में जो साथ न छोडे।
सबसे बेहतर है वो शख्स जिंदगी का।।
राहें-मंजिल में जो कदम न लडखडाए।
हासिल कर ही लेते हैं वो लक्ष जिंदगी का।।
बनी पे लाखों निसार हो जाते है चंदन।
कोई नहीं होता बरअक्स जिंदगी का।।
नेमीचन्द पूनिया चंदन े
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