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जो हौसला बलंद है नफस नफस कमंद है

हमारी हर ख़ुशी हमारे हौसलों में बंद है

वो बेकसी अतीत है यही हमारी जीत है

हर एक देशवासी के लबों पे ये ही गीत है

ये एकता मिसाल है हमारा ये कमाल है

वतन के लब पे आज भी मगर वही सवाल है

है कौन दूध का धुला अभी तलक नहीं खुला

अभी तक इस पियाले में ज़हर का घूँट है घुला

भरें सभी तिजोरियां हैं कैसी कैसी चोरियां
सुला रहे हैं हम ज़मीर को सुना के लोरियां

 
उठो के वक़्त आ गया उठाओ हर क़दम नया

ज़रा तो तुम भी सोच लो के फ़र्ज़ है तुम्हारा क्या


ज़रा तो खुद में झाँक लो ज़मीर को भी आंक लो

फ़रीज़े की जबीं पर कोई सितारा टांक लो

ये छोटी छोटी चोरियां जो जुर्म की हैं बोरियां
हमारे मुल्क के लिए बनी हैं जो निम्बोरियां

इन्हें भी अब मिटाएंगे खुदी को आजमाएं

गेके हाथ यूँ बढ़ाएंगे ज़मीर को जगाएंगे


खिलाना है नया चमन बनाना है नया वतन

बदल दें आओ मिल के हम समाज के सभी चलन


न भेद जात पांत का न धर्म का न ज़ात का

जवाब हम को देना है सदी सदी की बात का

 
यही हमारी जीत है यही तो भारी जीत है

बुराइयों की हार में छुपी हमारी जीत है

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Comment by Rajendra Singh kunwar 'Fariyadhi on April 11, 2011 at 12:12pm
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 9, 2011 at 10:27pm

उठो के वक़्त आ गया उठाओ हर क़दम नया

ज़रा तो तुम भी सोच लो के फ़र्ज़ है तुम्हारा क्या

 

सुंदर और सार्थक नज्म पर बधाई |

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