For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गंगा तो पवित्र है
इन्सानों के दुष्कर्म
अनवरत बहाना इसका चरित्र है
मैली पड़ जाती है
फिर भी बहती जाती है
आखिर माँ है
चुप चाप सहती जाती है
मगर दूषित करने वाले
माँ पुकार कर भी
ज़हर पिलाते जाते हैं
दुखों का अम्बार जुटाते जाते हैं
कहाँ किसी को ये प्यार दे पाते हैं
स्वार्थ ही तो कर्म है इनका
बस यही धर्म निभाते जाते हैं
इक दिन ये राख़ बन जाएंगे
माँ से मिलने फिर वापस आएंगे
किस मुहं से मुक्ति मांग पाएंगे
मगर गंगा तो आखिर गंगा माँ है
मना भी तो ना कर पायेगी
माँ क्या होती है
जो जीते जी ना समझ सके
अब राख़ बन क्या ख़ाक समझ पाएंगे !!

*****************************************

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 651

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tanuja Upreti on August 7, 2015 at 12:33pm

एक ज्वलंत मुद्दे पर अच्छी प्रस्तुति I बधाई मोहन जी 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on August 7, 2015 at 12:30pm

आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH जी हार्दिक आभार ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on August 7, 2015 at 12:29pm

आदरणीया kanta roy जी प्रोत्साहन के लिए तहे दिल से आभार....सादर 

Comment by kanta roy on August 5, 2015 at 11:34pm
गंगा तो पवित्र है ... क्या खूब अभिव्यक्ति हुई है । बहुत सुंदर रचना आदरणीय मोहन सेठी इंतजार जी
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 5, 2015 at 8:18pm

बहुत ही सुन्दर भावनात्मक और व्यावहारिक पक्ष रक्खा है आपने, बधाई!

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on August 5, 2015 at 6:40pm

आदरणीय कृष्णा जी आपकी सकारात्मक टिप्पणी पाकर हृदय प्रसन्न हुआ ...बहुत बहुत आभार आपका ...सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on August 4, 2015 at 8:22pm

वाह आ० इन्तजार सर! आपकी कविताओं के भाव सदैव से निराला रहा है! और उसमें सार्थक विषयों ने एक नई चेतना जगा दी है! बहुत ही बेहतरीन सर! हार्दिक बधाई!

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on August 4, 2015 at 4:55pm

आदरणीय Neeraj Kumar 'Neer' जी आपका हार्दिक आभार एवं मंगलकामनाएँ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on August 4, 2015 at 4:53pm

आदरणीय Sulabh Agnihotri जी हार्दिक आभार ...सादर 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on August 4, 2015 at 4:52pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपकी सकारात्मक टिप्पणी पाकर दिल ख़ुश हुआ ...बहुत बहुत धन्यवाद ...सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service