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भूस्खलन इंसानियत का (लघुकथा)

लगातार हो रही वर्षा के पश्चात पुनः विद्यालय सुचारू रूप से चलना शुरू ही हुआ था कि चीख-पुकार मच गयी सभी अपनी -अपनी जान बचाकर भाग रहे थे।नया विवादित भवन पहली ही बरसात में विद्यार्थी और शिक्षकों की कब्र में परिवर्तित हो गया ।अधिकारीयों का तांता लगा रहा तत्काल प्रभाव से भेजी गयी रिपोर्ट में भवन का खण्डहर होने का कारण -
" अत्यधिक वर्षा से भूस्खलन " था।

और ठेकेदार की बहुमंजिली कोठी बरसते सावन में घी के दीयों से जगमगा रही थी।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 14, 2015 at 11:35am

और ठेकेदार की बहुमंजिली कोठी बरसते सावन में घी के दीयों से जगमगा रही थी।

स्वागत है आदरणीया  अर्चना त्रिपाठी जी , सादर 

बधाई , 

Comment by Archana Tripathi on July 14, 2015 at 10:34am
पोस्ट स्वीकृत करने के लिए हार्दिक आभार ।
Comment by Archana Tripathi on July 14, 2015 at 10:33am
पोस्ट स्वीकृत करने के लिए हार्दिक आभार

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