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"थकी हुयी सी जिन्दगी"

थकी हुयी सी जिन्दगी,
थका हुआ मुकाम है।
कौन सी जगह है ये,
हर कोई परेशान है।।
सुबह की धूप शाम है,
शाम रात सी घनी।
हवा मे क्या ये घुल रहा,
फिज़ा जहर सी बनी।
कहाँ आ गये है हम,
हर कोई हैरान है।।
अजनबी है हर कोई,
अजनबी है ये जहाँ।
मोबाईल वैब से जुडे,
दिलो के फासले यहाँ।
हर किसी का नाम है,
पर हर कोई बेनाम है।।
थकी हुयी सी जिन्दगी,
थका हुआ मुकाम है।
कौन सी जगह है ये,
हर कोई परेशान है।।

'विरेन्दर वीर मेहता' (मौलिक व अप्रकाशित)

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 9, 2015 at 1:51pm

पुनः , 

वीरेन्द्र वीर जी यह क्या है ?  ग़ाम -लाफ़ की आवृति को निभाने की कोशिश हुई है. इसके प्रति भी सतर्क होना था.  लेकिन इसके अलावा कोई और बात समझ में  नहीं आयी.

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 9, 2015 at 9:40am

आदरणीय सुनील प्रसाद जी  रचना  पर होसला  अफजाई के लिए  आप का दिल से शुक्रिया ....

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 9, 2015 at 9:39am

आदरणीय  सौरभ पाण्डेय सर आपने  रचना  पर समय दिया. उसके लिए  आप का तहे दिल से आभार.

किया गया  प्रयास कितना सफल है  या  पूर्ण असफल इसके  प्रति  आप की राय कुछ और स्पष्ट होती थी या  कुछ सलाह आप देते  तो अनुज को अवश्य कुछ सीखने  का अवसर  मिलता....

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on July 8, 2015 at 7:44pm
बेहद खूब अल्फाज बेहतरीन बोल

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 6:07pm

वीरेन्द्र वीर जी यह क्या है ?  ग़ाम -लाफ़ की आवृति को निभाने की कोशिश हुई है. इसके प्रति भी सतर्क होना था.  लेकिन इसके अलावा कोई और बात समझ में  नहीं आयी.

हर प्रयास को मंच मिले यह उचित है क्या ?

 

Comment by maharshi tripathi on July 2, 2015 at 12:02am

थका हुआ मुकाम है।
कौन सी जगह है ये,
हर कोई परेशान है।।,,,,बढ़िया आ. VIRENDER VEER MEHTA जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 1, 2015 at 6:36pm

आदरणीय अच्छी नज़्म हुई है , हार्दिक बधाइयाँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 1, 2015 at 3:01pm

वाह बढ़िया प्रस्तुति 

हार्दिक बधाई आदरणीय वीरेंदर वीर मेहता जी

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 28, 2015 at 4:48pm
आदरणीय विनय भाई जी आपने सदा ही मेरी रचना को मान देकर मेरा उत्साह बढ़ाया है इसके लिये मेरा ह्रदय तल से आभार स्वीकार करे।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 28, 2015 at 4:43pm
आदरणीया कांता रायजी मेरे शब्दो पर अपनी प्रतिक्रिया की मोहर लगाकर उत्साहवर्धन करने के लिये दिल से आपका आभारी हूँ। धन्यवाद।

कृपया ध्यान दे...

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