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(१ )

क्रोध बड़ा उसका जहरीला

 मुखड़ा होता नीला पीला

छेड़ूँ तो दिखलाता दर्प

क्या सखि  साजन

ना सखि सर्प    

(२ )

झूम झूम कर मुझे रिझाता  

अपनी ताकत सदा दिखाता  

प्यार करूँ तो बनता साथी

क्या सखि साजन

ना सखि हाथी  

(३ )

हाय मूढ़ की अजब  कहानी  

काटे तो माँगू ना पानी  

क्रोघ करे तो भागे पिच्छू 

क्या सखि साजन

ना सखि बिच्छू   

(४ )

हर दम पानी पीता रहता

एक जगह पर बैठा रहता

गर्दन छोटी है पेट बड़ा

क्या सखि साजन

ना सखि घड़ा

(५)

सब गुण उसके हैं अनमोल

लगता कितना गोलमटोल

चाहे उसको दिल से दद्दू

क्या सखि साजन

ना सखि कद्दू 

(६ )

पिद्दी होकर ताब दिखाता 

फूँक मारते ही उड़ जाता 

पँहुचे वहीँ जहाँ हो सापड़

क्या सखि साजन 

ना सखि पापड़ 

--------

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 8, 2015 at 10:35am

जी ,आ० सौरभ जी ये सापड हमने बहुत खाया साउथ में सापड़ विद पापड़ ---:))))

प्रस्तुति पर उपस्थिति  के लिए आभार . 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 1:05am

आपने तो सापड़म् की याद दिला दी आदरणीया राजेश कुमारीजी ! .. तईर-सादम .. फुल्ल सापड़म !! :-))

Comment by Sarita Bhatia on June 29, 2015 at 7:57pm

वाह दीदी कमाल किया बहुत बढ़िया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2015 at 7:17pm

आ० श्री सुनील जी ,आपकी प्रतिक्रिया से हर्षित हूँ आपको प्रस्तुति रोचक लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ ,दिल से आभार आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2015 at 7:16pm

आ० गिरिराज जी ,कहमुकरिया आपको पसंद आई दिल से आभार आपका |

Comment by shree suneel on June 28, 2015 at 6:38pm
कहमुकरियों का भी अपना जादू है आदरणीया. मज़ा आया पढ़कर. बधाई आपको इन कहमुकरियों के लिए.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 28, 2015 at 2:06pm

बहुत सुन्दर , आदरणीया , बधाई आपको , कह मुकरियों के लिये ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2015 at 9:52am

मिथिलेश भैया ,आपको ये कहमुकरियां  पसंद आई दिल से बहुत- बहुत आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 28, 2015 at 4:38am

हा हा हा 

बढ़िया कह्मुकरिया दीदी 

दद्दू -कद्दू मस्त हुआ है 

बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 26, 2015 at 9:11pm

बहुत- बहुत शुक्रिया कृष्ण मिश्र जी आपको ये कह्मुकरिया आनंदित कर पाई मेरा लिखना सार्थक हुआ |

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