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अनुत्तरित प्रश्न ( लघुकथा )

रात में धमाका हुआ , पूरा ट्रक उड़ गया , कोई नहीं बचा ।
सारी टोली अगले दिन टी वी पर चिपकी थी , अपने विजय का दृश्य और उसका असर देखने के लिए ।
उन समाचारों में बस उसी विस्फ़ोट की गूँज थी और सारे देश में उसी पर चर्चा हो रही थी । लेकिन फिर टी वी पर आये उस दृश्य को देखकर वो सब निशब्द रह गए जिसमे तीन साल की बच्ची विस्फोट में मृत अपने पिता के शरीर से लिपट कर रो रही थी ।
उसने कोई सवाल नहीं पूछा लेकिन उसके सवालों का उनके पास कोई ज़वाब नहीं था ।
मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 10, 2015 at 4:50pm

आदरणीय विनय जी इस सार्थक सुंदर रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Shubhranshu Pandey on June 10, 2015 at 3:06pm

आदरणीय विनय् जी एक मौन प्रश्न जिसका उत्तर शायद पूरी किताब भी ना दे पाये. 

सादर.

Comment by विनय कुमार on June 10, 2015 at 10:46am

बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 10, 2015 at 10:31am

निशब्द ! मन  को अनजाने में ही झिंझोरती ही कथा .... सादर बधाई आदरणीय विनय कुमार जी.

Comment by विनय कुमार on June 10, 2015 at 3:35am

बहुत बहुत आभार आदरणीय सोमेश कुमार जी..

Comment by somesh kumar on June 9, 2015 at 11:26pm

उसने कोई सवाल नहीं पूछा लेकिन उसके सवालों का उनके पास कोई ज़वाब नहीं था

मर्मान्तक एवं सार्थक लघुकथा

Comment by kanta roy on June 9, 2015 at 12:33pm
खुशी और पश्चाताप .........यहाँ एडिट आॅप्सन नहीं है सो क्षमा
Comment by विनय कुमार on June 9, 2015 at 12:17pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया कांता रॉय जी.

Comment by विनय कुमार on June 9, 2015 at 12:17pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मोहन सेठी इंतज़ार जी.

Comment by kanta roy on June 9, 2015 at 10:54am
बेहद मार्मिकता लिये दो परिदृश्य को उकेरा है आपने कथा में । खुशी और पश्चात एक बिजली की हल्की और तीव्र चमक सी चमक गई । बहुत खूब आदरणीय विनय कुमार सर जी ... इस सार्थक लघुकथा के लिए बधाई आपको

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