For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एकाकीपन

उदासियां--!

मन के कोनो अतरों में जीती
सुबह -दोपहर-सायं
एकान्त की काकी, एकाकी
क्यों ? न पालती अपने नौलिहाल
रस-छन्द-अलंकारों को
अलसाई तन्द्रा
इन्द्रधनुषी रंग में रॅगती- कोरी चुनरी
ईर्षा,-द्वेष, छल-कपट से टॉकती
अहं के चमकते सितारे
अति निष्ठुर ।
हथेली की उॅगलियों में फॅसी ध्रुम द-िण्डका
रह-रह कर जलती- बुझती.....कुढ़ती
आवारा काले बादलों सा उगलती ....धुआँं
कलेजों के टुकड़ाें की धौंकनी बढ़ जाती
श्वांसें घुटने लगती
असह्य पीड़ा में खॉसता.....पूरी ताकत से
रक्त के कण-कण घबराकर बाहर झॉकतें
श्वांसें दिखाई नहीं देतीं
सुबह, दोपहर, सॉझ......क्या?
समय भी भाग खड़ा हुआ

दिन ढलने के पहले ही
एकान्त की काकी.... एकाकी ...साफ करती-
धरा पर बिखरे रक्त कण के धब्बे
विकास के,
इतिहास के,
परिहास के
आज भी उदासियॉं अजर-अमर
खण्डहरों में संरक्षित
एकान्त की काकी......एकाकी
मन के कोनों-अतरों में
ढूॅढ़ती है अपने नौनिहालों के लिए
आस्था - प्रेम
और संस्कृति के पद चिन्ह.....।

के0.पी.सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

Views: 525

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 28, 2015 at 10:21am

एकान्त की काकी - एकाकी !

क्या भाई केवल जी, क्या-क्या सोच लेते हैं !
इसी तर्ज़ पर कहें तो, शोर का मामा - हंगामा.. :-))

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 25, 2015 at 9:01pm

आ0 गोपाल भाईजी, प्रणाम! कविता पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया लिये आपका हार्दिक आभार. सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 25, 2015 at 9:00pm

आ0  समर भाईजी, प्रणाम! कविता पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया लिये आपका हार्दिक आभार. सादर,

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 25, 2015 at 3:42pm

एकांत की काकी

अद्भुत कल्पना है  'सत्यम' जी . आपको  बधाई .

Comment by Samar kabeer on May 25, 2015 at 3:37pm
जनाब केवल प्रसाद जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

"है,'केवल' कविता में गहराई इतनी
मैं इसमें ही अब डूबना चाहता हूँ "

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service