For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - लगी धूप सी मुझे ज़िन्दगी ( गिरिराज भंडारी )

11212   11212  11212   11212 

 

कभी इक तवील सी राह में लगी धूप सी  मुझे ज़िन्दगी

कभी शबनमी सी मिली सहर जिसे देख के मिली ताज़गी

 

कभी शब मिली सजी चाँदनी , रहा चाँद का भी उजास,  पर  

कभी एक बेवा की ज़िन्दगी सी रही है रात में सादगी

 

कभी हसरतों के महल बने, कभी ख़ंडरों का था सिलसिला  

कभी मंज़िलें मिली सामने , कभी चार सू मिली ख़स्तगी

 

कभी यार भी लगे गैर से , कभी दुश्मनों से वफ़ा मिली

कभी रोशनी चुभी बे क़दर , तो दवा बनी मेरी तीरगी

 

कभी दुश्मनों की तरह मुझे, मेरे रास्ते गड़े खार बन  

हुये मीत जब वही रास्ते , वहीं मखमली सी छुवन जगी

 

कभी पी लिया मै ने ज़ह्र भी , कभी आबे जम भी हटा दिया

कभी ज़िन्दगी लगी ग़ैर सी , कभी मौत मुझको सगी लगी

 

मै भी जी रहा हूँ ये कह सकूँ , मेरी कोशिशें तो रहीं मगर

कभी भूख में न थीं रोटियाँ , मिला आब जब न थी तिश्नगी  

**********************************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

 

 

Views: 708

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 16, 2015 at 3:36pm

बहुत खूब 
सहर स्त्रीलिंगी है ..मिला सहर असहज प्रतीत हो रहा है. 
रहा चाँद का भी उजास पर  यहाँ पर ..लेकिन की जगह पंख वाले पर की अनुभूती दे रहा है 
कभी मित्र भी लगे शत्रु से ,..कभी यार भी लगे ग़ैर से 
गड़े ..चुभे 

कभी मौत भी थी सगी लगी- कभी मौत मुझ को सगी लगी

अपनी सीमित समझ के अनुसार कुछ सुझाव देने का दु: साहस किया है. आशा है आप अन्यथा न लेंगे 
सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 16, 2015 at 11:20am

आदरणीय कृष्णा भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ॥

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 16, 2015 at 11:16am

कभी मित्र भी लगे शत्रु से , कभी दुश्मनों से वफ़ा मिली

कभी रोशनी चुभी बे क़दर , तो दवा बनी मेरी तीरगी            वाह! वाह! वाह!

कभी पी लिया मै ने ज़ह्र भी , कभी आबे जम भी हटा दिया

कभी ज़िन्दगी लगी ग़ैर सी , कभी मौत भी थी सगी लगी        लाजव़ाब!

बेहतरीन गजल हुयी है आ० गिरिराज सर! अभिनन्दन!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 16, 2015 at 11:11am

आदरणीय श्याम नारायण भाई , गज़ल की साराहना के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ॥

Comment by Shyam Narain Verma on May 16, 2015 at 11:02am
बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 16, 2015 at 10:25am

आदरणीय हरि प्रकाश भाई , आपका बहुत बहुत आभार ।

Comment by Hari Prakash Dubey on May 16, 2015 at 10:06am

कभी हसरतों के महल बने, कभी ख़ंडरों का था सिलसिला  

कभी मंज़िलें मिली सामने , कभी चार सू मिली ख़स्तगी......बहुत शानदार  ,हार्दिक बधाई इस सम्पूर्ण रचना पर आदरणीय  गिरिराज  सर  ! सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service