For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कैसे जाएगी याद दिल को बताऊं कैसे - शीवेन्द्र

कैसे जाएगी याद दिल को बताऊं कैसे
मेरी नजरों में बसी तस्वीर हटाऊं कैसे।


उसने आवाज तलक भी नहीं दी मुझे
खुद के जीने के लिए सांस जुटाऊं कैसे।


की बड़ी दूर से थी मौहब्बत हमने
जख्म उनको मैं दिखाकर रूलाऊं कैसे।


अब हवाओं से दीवार यहां हिलती है
अपने सपनों की तस्वीर लगाऊं कैसे।


उनकी हर बात का हमने तो भरम रखा है
तोड़कर वो ही कसम आंख मिलाऊं कैसे।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 515

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 18, 2015 at 5:28pm

आदरणीय समर कबीर साहब ने जो इस्लाह दी है उसका शुक्रिया.

अब भाई शिवेन्द्र पर है वे अपने को इस इस्लाह के कितना हवाले कर पाते हैं. 

शुभकामनाएँ.

Comment by वीनस केसरी on May 16, 2015 at 1:26am

बेशक इस राह की मंजिल ग़ज़ल है ...
लगे रहिये, मंजिल दूर नहीं 

समर साहब ने अच्छी इस्लाह दी है, इस्लाह लेते रहिये ......यही सीखने का सबसे बढ़िया तरीका है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 13, 2015 at 10:00pm
आदरणीय शिवेंद्र जी अच्छी ग़ज़ल हुई है। बहुत बधाई।
Comment by shivendra on May 13, 2015 at 3:56pm

प्रिय मनोज जी, गिरिराज जी आपका आभारी हूं। आपने मुझमें उत्साह भरा है, अच्छा लगा। आप जैसे ज्ञानी मित्रों के सहयोग और मार्गदर्शन से मैं शायद कुछ सीख सकूं और आपके साथ चलने लायक हो जाऊं। एक बार फिर आपका धन्यवाद।
- शीवेन्द्र

Comment by मनोज अहसास on May 12, 2015 at 9:46pm
आदरणीय शिवेंद्र जी बहुत बधाई एवम शुभकामनाये
बहुत काबिल ज्ञानी और गुणी लोगो के बीच में आप आ गए है
इनसे बहुत प्रेरणा मिलेगी आपको कला पक्ष की बातें और बहर आदि सिखने में भाव आपमें पहले से ही बहुत है
आपकी ग़ज़ल यात्रा बहुत बड़ी बने

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 12, 2015 at 8:36pm

आ. शिवेन्द्र भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है , प्रथम प्रयास बहुत सफल है । बाक़ी बातें आ. समर भाई कह ही चुके हैं । गज़ल के ऊपर बहर लिखने की आदत बना  लीजियेगा , सभी को सीखने - सिखाने मे आसानी  होती है ।

Comment by shivendra on May 12, 2015 at 4:42pm

जनाब समर साहेब आदाब, ये मेरा पहला प्रयास है और आपने शुरूआत में अच्छे ज्ञान की बात बताई है। मैं आपकी बात अन्यथा नहीं ले रहा आप तो मुझे कुछ ज्ञान ही दे रहे हो। कमी पता चलेगी तभी दूर होगी। मैं आगे कोशिश सीखने की कर रहा हूं। मैंने एक बार पहली कक्षा ही पढ़ी है। उसके  बाद थोड़ा ज्ञान प्राप्त कर उल्टा सीधा लिखा है। शुक्रिया दोबारा आपने मुझे रास्ता दिखाया।

Comment by Samar kabeer on May 12, 2015 at 3:06pm
जनाब शिवेन्द्र जी,आदाब,सबसे पहले तो यह कि आपने अपनी ग़ज़ल की बह्र नहीं लिखी है ,आपकी ग़ज़ल की बह्र है :-

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन/फ़इलुन

(1)"कैसे जाएगी याद दिल को बताऊं कैसे
मेरी नजरों में बसी तस्वीर हटाऊं कैसे"

इस शैर को इस तरह लिखें तो ठीक रहेगा :-

"याद जाती नहीं इस दिल को बताऊँ कैसे
तेरी तस्वीर निगाहों से हटाऊँ कैसे"

(2)"उसने आवाज तलक भी नहीं दी मुझे
"खुद के जीने के लिए सांस जुटाऊं कैसे"

इस शैर को इस तरह लिखें :-

"उसने आवाज़ तलक भी नहीं दी है मुझको
ख़ुद के जीने के लिये सांस जुटाऊँ कैसे"

(3)"की बड़ी दूर से थी मौहब्बत हमने
"जख्म उनको मैं दिखाकर रूलाऊं कैसे"

इस शैर को इस तरह लिखें :-

"टूट कर की है हमेशा ही मुहब्बत उनसे
ज़ख़्म-ए-दिल उनको दिखाकर मैं रुलाऊँ कैसे"

(4)"अब हवाओं से दीवार यहां हिलती है
अपने सपनों की तस्वीर लगाऊं कैसे"

इस शैर को इस तरह लिखें :-

"अब हवाओं से ये दीवार बहुत हिलती है
अपने सपनों की मैं तस्वीर लगाऊँ कैसे"

(5)"उनकी हर बात का हमने तो भरम रखा है
तोड़कर वो ही कसम आंख मिलाऊं कैसे"

इस शैर को इस तरह लिखें :-

"उनकी हर बात का मैंने तो भरम रख्खा था
तोड़कर अब ये क़सम आँख मिलाऊँ कैसे"

इसी तरह प्रयास करते रहें ,दूसरे सदस्यों की ग़ज़लें पढ़ते रहें ,एक दिन आप अच्छा लिखने लगेंगे,कृपया अन्यथा न लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
Oct 1
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Sep 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"नमस्कार। अधूरे ख़्वाब को एक अहम कोण से लेते हुए समय-चक्र की विडम्बना पिरोती 'टॉफी से सिगरेट तक…"
Sep 29
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"काल चक्र - लघुकथा -  "आइये रमेश बाबू, आज कैसे हमारी दुकान का रास्ता भूल गये? बचपन में तो…"
Sep 29
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
Sep 29
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
Sep 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
Sep 28
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
Sep 28
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
Sep 28
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
Sep 28

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service